ग्रेटर नोएडा

58वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला – ऑटम 2024 चौथा दिन

खरीदारों के ऑर्डर को अंतिम रूप देने के समय सतर्कता के साथ किया गया तालमेल, टिकाऊ नवाचार, प्राकृतिक सामग्री पर आधारित वस्तुएं, कच्चे माल के मिश्रण की विविधता और हस्तशिल्प प्रथाओं के प्रयोग ने ध्यान खींचते हैं

एनआईडी फैकल्टी ने मटीरियल इनोवेशन, सामुदायिक सह-उत्पादन और सर्कुलर इकोनॉमी के जरिए सिस्टम ऑप्टिमाइजेशन पर पूरी जानकारी प्रदान की; डिजाइन रणनीति बनाने वाले फर्म ने भविष्य के ट्रेंड की ओर ध्यान आकर्षित किया; और बौद्धिक संपदा अधिकार एवं ट्रेडमार्क संरक्षण पर डोमेन विशेषज्ञों ने आकर्षक सेमिनारों के जरिए अपने मूल्यवान पॉयंटर्स साझा किए 

ग्रेटर नोएडा/दिल्ली एनसीआर : ग्रेटर नोएडा (एक्सप्रेसवे) के इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट में 16 से 20 अक्तूबर 2024 तक आयोजित किया जा रहा 58वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला ऑटम- 2024 बहुत सी अनुकूल उम्मीदों के साथ अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। अब तक प्रमुख आयातक देशों से कई खरीदार समूह और शिष्टमंडल मेले का दौरा कर चुके हैं। बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों, आयातकों, थोक दिग्गजों, सोर्सिंग एजेंटों और रिटेल इकाइयों को आकर्षित करते हुए, इस मेले ने अपने शुरुआती तीन दिनों में पूछताछ, ऑर्डर को अंतिम रूप देने और सैंपल जमा करने में सभी को व्यस्त रखा, यह इसकी गतिशक्ति का परिचय है।

ईपीसीएच के अध्यक्ष, श्री दिलीप बैद ने बताया, “मेला पूरे शबाब पर है, जिसे हमारे विदेशी खरीदारों, खरीद घराने, एजेंटों और घरेलू वॉल्यूम खरीदारों की उत्साही भागीदारी का समर्थन हासिल है। आयोजन में प्रतिभागियों और खरीदारों के नए संबंध बन रहे हैं, जबकि पुराने रिश्तों को पुनर्जीवित और मजबूत किया जा रहा है। खरीदार नए आपूर्तिकर्ताओं से नवीनतम प्रॉडक्ट लाइन और परिचित विक्रेताओं से नवीनता की खोज कर रहे हैं। कई आर्डर्स की पहले ही पुष्टि हो चुकी है, शो के बाद की फॉलोअप कार्रवाई में और ज्यादा आर्डर्स को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।”

अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि मेले में प्रदर्शित भारतीय निर्माताओं की टिकाऊ प्रथाओं और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों ने विशिष्ट ध्यान आकर्षित किया है। “ईपीसीएच और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद के सहयोग और प्रयासों से उल्लेखनीय प्रॉडक्ट लाइनें सामने आई हैं जो मेले में प्रदर्शित की गई हैं। कई आगंतुक यहां रुके हैं और उन्होंने कुछ उत्पादों में व्यवहारिक व्यावसायिक संभावनाओं के बारे में पूछताछ की है।”

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के मुख्य संरक्षक और सलाहकार के तौर पर ईपीसीएच के महानिदेशक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “स्थिरता आईएचजीएफ दिल्ली मेले के लिए उत्पादों के चयन में ही नहीं बल्कि भारत के अत्यंत विविध और विशाल विनिर्माण क्षेत्र में भी एक केंद्रीय फोकस बनी हुई है। हमारी पेशकश में सस्टेनेबल होम, लाइफस्टाइल, फैशन, फर्निशिंग और फर्नीचर उत्पादों की रेंज हर सीजन के साथ बढ़ रही है। इस मेले में, प्रदर्शक और आपूर्तिकर्ता अपने नवाचारों के जरिए एक अधिक टिकाऊ और मूल्यों पर आधारित भविष्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं। कई लोग जीवंत पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें कपास और जूट के लाइफस्टाइल एसेसरीज, प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके हाथ से पेंट किए गए शिल्प परिधान, पुनर्निर्मित कपड़े और कागज से तैयार की गई सजावट, और स्थायी रूप से प्राप्त पौधों के फाइबर से बने फैशन एक्सेसरीज शामिल हैं। ग्राहक इन पेशकश में गहरी रुचि दिखा रहे हैं।”

ब्रिटेन के दूसरी पीढ़ी के खरीदार मार्टिन टेनेंट ने बताया, “मैं पहले ही कुछ असरदार वस्तुओं को देख चुका हूं। मैं पूरी दुनिया से उत्पादों का स्रोत करता हू, लेकिन भारतीय उत्पाद अपनी विशिष्टता, सामग्री और कहानियों में सबसे अलग हैं, ऐसे उत्पाद कहीं और पाना मुश्किल हैं। ब्रिटेन में लोग भारतीय हस्तशिल्प की बहुत सराहना करते हैं, और उनका जादू लोगों को हमेशा आकर्षित करता है।”

ऑस्ट्रेलियाई खरीदार बेकी ने बताया, मैं अक्सर भारत आती हूं, अब तक 20 बार इस शो में आ चुकी हूं। हम ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में गिफ्टवेयर और होमवेयर के जाने माने थोक विक्रेता हैं। मैं यहां खास तौर पर फर्नीचर और लाइटिंग उत्पादों के लिए आती हूं। मुझे बार-बार यहां जो चीज खींचती है वो न केवल भारतीय उत्पादों की असाधारण शिल्पकला और गुणवत्ता है, बल्कि उनकी विशिष्टता भी है।”

दक्षिण अफ्रीका के सेसिल कैमरून आईएचजीएफ मेले में पहली बार शिरकत कर रहे हैं और अब तक का उनका अनुभव बहुत अच्छा रहा है। वे कहते हैं, “मैं एक इंटीरियर डिजाइनर हूं और नए आइ़डिया और प्रेरणा की खोज में भारत आया हूं। मैं होम डेकोर और लाइटिंग उत्पादों पर फोकस कर रहा हूं। इस मेले में ऐसी कई हस्तनिर्मित चीजें हैं, जिन्होंने मेरा ध्यान खींचा है।”

ईपीसीएच का प्रदर्शकों की साख और सामग्री की समग्रता पर बल देने के बारे में विस्तार से बताते हुए ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, “ईपीसीएच का वृक्ष प्रमाणन, जो ‘कानूनी रूप से स्थिरता’ को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है, लकड़ी की सभी प्रजातियों के सतत व्यापार को सुनिश्चित करता है। यह पहल ईपीसीएच के उस मिशन के अनुरूप है, और सतत विकास के लिए आपस में जुड़े पर्यावरणीय, सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं पर ध्यान फोकस करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से तालमेल रखता है।”

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक, श्री आर.के वर्मा ने बताया कि वर्तमान सामयिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आज कई बहुत ही शानदार और गहरी समझ देने वाले सेमिनार आयोजित कराए गए। भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र के साथ निकटता से काम करने वाले विषय विशेषज्ञ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद के फैकल्टी द्वारा सस्टेनेबिलिटी इन एक्शन: इंप्लीमेंटिंग सस्टेनेबल डिजाइन प्रैक्टिसेज विषय पर सेमिनार में प्रतिभागियों को मैन्यूफैक्चरिंग के तरीकों के लिए पर्यावरण-अनुकूल नवीनतम नजरिया प्रदान किया गया। इसी तरह दूसरा विषय दूसरा फॉल विंटर 25/26 यानी इस साल के सर्दी के आगामी ट्रेंड्स पर आधारित रहा। इस सेमिनार ने उपस्थित लोगों को आने वाले ट्रेंड्स पर गहरी समझ प्रदान की; इसके अलावा एक और सेमिनार बौद्धिक संपदा अधिकार, ट्रेडमार्क संरक्षण और ब्रांड पहचान पर था, जो वर्तमान समय के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी कालखंड के लिए एक बहुत ही प्रासंगिक विषय रहा।”

इस अवसर पर आईएचजीएफ दिल्ली मेला- ऑटम 2024 के मेला अध्यक्ष श्री गिरीश के अग्रवाल ने बताया, “मेले में रैंप शो काफी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जो फीचर्ड उत्पादों पर और अधिक ध्यान खींचते हैं। फैशन जूलरी, एक्सेसरीज और अपैरल का प्रदर्शन करते हुए, ये प्रस्तुतियां संग्रह की सुंदरता और आकर्षण को उजागर करती हैं, जिससे खरीदारों और उपस्थित लोगों के बीच उनकी व्यापक अपील बढ़ जाती हैं।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद, देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर एवं फैशन जूलरी और एक्सेसरीज वस्तुओं के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने बताया कि साल 2023-24 के दौरान भारत से हस्तशिल्प का कुल निर्यात 32,758 करोड़ रुपये (3,956 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हुआ था।

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