तैंतीस बरस का हुआ ग्रेटर नोएडा:क्या खोया क्या पाया
-राजेश बैरागी-
ग्रेटर नोएडा: एक प्राधिकरण और उसके द्वारा विकसित शहर की जीवन यात्रा में तैंतीस बरस के क्या मायने हैं? उपलब्धियों की दृष्टि से देखें तो चौंतीसवां स्थापना दिवस मनाते हुए आज ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकसित यह एक ऐसा अत्याधुनिक शहर है जिसे देश के किसी भी अन्य विकसित शहर के मुकाबले में रखा जा सकता है। चौड़ी, हरी-भरी सर्पाकार सड़कें, आकर्षक चौराहे, गगनचुंबी इमारतें, मेट्रो की सवारी, स्टेडियम, म्यूजियम, मल्टीप्लेक्स और देश दुनिया के स्तर के प्रदर्शनों के लिए एक्सपो मार्ट इस शहर को खास बनाते हैं। दिल्ली पर बढ़ रहे दबाव को दूर करने के लिए उपग्रह शहरों की तर्ज पर बसाए गए नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहर समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। इनमें से ग्रेटर नोएडा तो एनसीआर का वह शहर बन गया है जहां निवास करने की हसरत लोगों के दिलों में रहती है।124 गांवों की धरती पर बस रहे इस शहर के लिए कुल 38 हजार हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है जिसमें से अभी तक मात्र 16 हजार हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है। दिलचस्प तथ्य यह है कि अभी तक अधिग्रहित की गई भूमि में से सात हजार हेक्टेयर भूमि का कुछ अता-पता नहीं है। एकीकृत औद्योगिक शहर के तौर पर बसाने के संकल्प के बावजूद अभी भी यहां औद्योगिक सेक्टरों की अपेक्षा आवासीय सेक्टर ही अधिक हैं। यह शहर दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से सीधा जुड़ा है जबकि इसके उत्तर में दिल्ली हावड़ा रेलवे लाइन इसे पूरे देश से जोड़ती है। तैंतीस बरस पहले जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना आज ही के दिन हुई थी,तब आज के जैसे शहर की कल्पना करना भी संभव नहीं था। इस शहर के रचनाकारों में योगेंद्र नारायण, रवि माथुर, ब्रिजेश कुमार जैसे वरिष्ठ आईएएस मुख्य कार्यपालक और अध्यक्षों की विशेष भूमिका रही है। वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी प्राधिकरण और शहर, दोनों को सक्षम बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। प्राधिकरण को वर्षों के कर्जों से मुक्त करने के साथ एक ठोस वित्त व्यवस्था की गई है।हर घर गंगाजल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। सड़कों, चौराहों को जाम मुक्त बनाने के साथ भारी यातायात दबाव वाली सड़कों पर एलीवेटेड रोड बनाने की तैयारी की जा रही है। अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाने की अघोषित नीति लागू की गई है। इस नीति की चपेट में आज का स्थापना दिवस समारोह भी रहा। इसे प्राधिकरण की एम्प्लाइज एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया गया जिसमें प्राधिकरण के अधिकारियों और जेवर विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह ने शिरकत की।आज ही अस्तौली गांव के 23किसानों को अतिरिक्त प्रतिकर के रूप में लगभग साढ़े दस करोड़ रुपए दिए गए। वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी और उनकी टीम के अधिकारियों क्रमशः श्री लक्ष्मी वी एस, प्रेरणा सिंह, सुनील कुमार सिंह के नेतृत्व में प्राधिकरण वापस पटरी पर लौट आया है परंतु किसानों की समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। जहां तक इस सफर में खोने और पाने का प्रश्न है तो प्राधिकरण के खाते में अनेक उपलब्धियां तो हैं परन्तु पग पग पर भ्रष्टाचार का रोग इसे दूसरे प्राधिकरणों की कतार में ही खड़ा करता है।