मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ:मुंह लगे अधिकारियों पर निर्भरता के चलते हनक से बैक फुट तक
राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)
सुना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल अपने निकटतम अधिकारियों से खासे नाराज हैं।हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों ने उनकी नींद उड़ा दी है। 2014 में 73 सीट जीतने वाली भाजपा 2024 आते आते मात्र 33 सीटों पर सिमट गई है। राममंदिर का उद्घाटन,अतीक और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं का अंत, बुलडोजर बाबा की छवि और भ्रष्टाचार के प्रति कथित शून्य सहनशीलता की नीति के बावजूद भाजपा को जनता का वोट क्यों नहीं मिला? इस प्रश्न को हल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर दृष्टि डालने की आवश्यकता है। ‘महाराज जी’ के नाम से विख्यात किए गए योगी आदित्यनाथ को शासन चलाने के लिए चंद कथित क्षमतावान अधिकारियों का ही सहारा है।इन अधिकारियों ने पूरी तरह मुख्यमंत्री को अपने प्रभाव में ले रखा है। इन्हीं अधिकारियों द्वारा उन्हें ‘महाराज जी’ का संबोधन दिया गया है। इससे उनकी मुख्यमंत्री के साथ निकटता का माहौल बनता है। मुख्यमंत्री को घेरे रखने वाले इन अधिकारियों द्वारा उन्हें भावी प्रधानमंत्री बनने के सपने दिखाए जाते हैं। उनके द्वारा गढ़े गए प्रतिमानों में योगी आदित्यनाथ को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर प्रदर्शित करना भी है जो हिंदू और हिंदुत्व का एक मात्र रक्षक है। यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसा फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप के चर्चों के संरक्षक के तौर पर स्वयं की छवि गढ़ी थी। लखनऊ के कुछ पत्रकार मित्र बताते हैं कि मोटी कमाई कर रहे इन अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अपने इतने प्रभाव में ले रखा है कि उन्हें राज्य में जनता की बदतर स्थिति का कोई अंदाजा नहीं है।बड़े व्यापारियों से लेकर रेहड़ी पटरी वाले दुकानदार तक खुलकर कहते हैं कि इस सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है।पुलिस थानों और अन्य सरकारी कार्यालयों में जनता के कार्यों के सौदे होते हैं। किसी को शिकायत का कोई भय नहीं है।आईजीआरएस जैसी एकीकृत शिकायत निवारण सेवा दिखावटी बन कर रह गई है। उसपर प्राप्त अधिकांश शिकायतों को दूर करने की झूठी रिपोर्ट भेजी जाती हैं। अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर है कि वे नागरिकों की समस्याओं का कितना समाधान करें। मुख्यमंत्री को भावी प्रधानमंत्री बनने का सपना दिखाने वाले अधिकारी राज्य में लोकसभा चुनाव के परिणामों से सकते में हैं। उनके द्वारा दिखाए जा रहे सपनों की हकीकत सामने आ गई है। अपनी हनक से केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष चुनौती पेश करते रहे योगी आदित्यनाथ बैक फुट पर हैं। हालांकि शपथग्रहण के लिए दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी पीठ थपथपा कर सार्वजनिक रूप से उन्हें अभयदान देने जैसा संकेत दिया था। परंतु योगी आदित्यनाथ अच्छी तरह समझ रहे हैं कि यह उनका सबसे खराब समय है और उनकी सत्ता पर परिवर्तन की तलवार लटक गई है। वर्तमान संकट को टालने के लिए योगी अपने अधिकारियों को मुस्तैदी से काम करने और जनता को रिझाने वाली योजनाएं तेजी से लागू करने का सख्त निर्देश दे रहे हैं। हालांकि यह बीमार पड़ने पर घी पीने जैसी कवायद है। बताया जा रहा है कि यदि केंद्रीय नेतृत्व का अभयदान जारी रहता है तो मुख्यमंत्री के मुंह लगे कुछ अधिकारियों को शीघ्र ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नाराज़गी की भी एक वजह यही अधिकारी हैं जो किसी की नहीं सुनते और मुख्यमंत्री केवल उनकी ही सुनते हैं,