राजनीति

क्षत्रिय समाज भी राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

विचार:भारत में ऐसा कोई प्रदेश नहीं जहां क्षेत्रवाद और जातिगत समीकरण को देखकर राजनीतिक समीकरण का निर्धारण न होता हो । प्रत्येक समाज अपने लोगों के प्रतिनिधित्व हेतु राजनीति में अपना स्थान बनाना चाहता है इसके अतिरिक्त भी अपने शुभचिंतकों से भेंट करना अपने अपने समाज के लोगों से मिलना जुलना सभी समाज करते हैं जिसमें किसी को कभी कोई आपत्ति भी नहीं होती तो यदि लखनऊ में क्षत्रिय समाज की बैठक आहूत हुई तो इसमें शायद किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए मीडिया द्वारा एकदम प्रकाशित कर देना की इस प्रकार की बैठकों का सम्बंधित राजनीतिक दल संज्ञान ले यह शायद उचित नहीं क्यूंकि भारत का कोई ऐसा राजनीतिक दल नहीं जो जातिगत भागीदारी को ध्यान में रखते हुए पार्टी में पदाधिकारियों और सरकार में मंत्री पदों का बंटवारा न करता हो । रही बात क्षत्रिय समाज की की तो देश सेवा में क्षत्रिय समाज के बलिदान और त्याग को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता अतः क्षत्रिय समाज को क्षत्रियता के आधार पर बैठक करने हेतु आपत्ति करना पूर्णतः अनुचित है लोकतंत्र सबको अधिकार देता है की वह अपनी नेतृत्व क्षमता से राष्ट्र और धर्म की सेवा करें ।

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