ग्रेटर नोएडा

किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द करें भारत सरकार -पवन खटाना

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत छोड़ो,कॉरपोरेट खेती छोड़ो

ग्रेटर नोएडा:आज संयुक्त मोर्चे के आवाहन पर भारतीय किसान यूनियन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना ने बताया बाइक तिरंगा यात्रा ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट से चलकर पेरीफेरल सिरसा टोल पर समाप्त हुई जिसमें किसानों की समस्या का एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी सदर आशुतोष गुप्ता जी के द्वारा महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी  राष्ट्रपति भारत   के नाम दिया गया को और बताया जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द भारत सरकार करें जिससे किसानों को उनका लाभ मिल सके,

माँगें –1. CETA नहीं चाहिए, अमेरिका के साथ FTA नहीं चाहिए। अमेरिका द्वारा थोपे गए 25% टैरिफ का विरोध करें:

CETA ने UK से प्रोसेस्ड फूड, डेयरी, सब्जियाँ और फल का आयात बढ़ा दिया है। इसने भारत में फूड प्रोसेसिंग में विदेशी निवेश (FDI) को भी बढ़ाया है, जिससे किसानों की आय और छोटे कृषि व्यवसायों को नुकसान पहुँचेगा। अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है जिससे GM खाद्य पदार्थों, अनाज, सोया, मक्का, कपास का भारी मात्रा में आयात और MNCs की भारतीय अर्थव्यवस्था में बिना नियंत्रण प्रवेश को बढ़ावा मिलेगा। SKM भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा थोपे गए 25% टैरिफ को भारत की संप्रभुता पर हमला मानता है और इसका कड़ा विरोध करता है।

2. NPFAM नहीं चाहिए, NCP (राष्ट्रीय सहकारी नीति) नहीं चाहिए:

नवंबर 2024 में घोषित नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चरल मार्केटिंग (NPFAM) का उद्देश्य APMC मंडियों, सरकारी मार्केट यार्डों का निजी पूंजी के साथ PPP मोड में आधुनिकीकरण करना है जिसमें अनाज की हैंडलिंग, भंडारण और फूड प्रोसेसिंग का मशीनीकरण शामिल है।

जुलाई 2025 में घोषित नई नेशनल कोऑपरेटिव पॉलिसी (NCP) ग्राम पंचायत स्तर पर FPOs को एकल बिंदु बनाती है जहाँ से किसानों को कर्ज, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, खेती की सेवाएँ – जुताई, बुआई, सिंचाई, बिजली, स्प्रे, कटाई, खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, बाज़ार संपर्क आदि मिलेंगे। ये FPOs लाभ कमाने वाली इकाइयाँ होंगी जिनमें सदस्य लाभ में भागीदार होंगे, न कि किसानों को उचित MSP या कृषि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा देने के लिए।

दोनों नीतियाँ संयुक्त रूप से फसल चक्र बदलकर व्यापारिक फसलें उगाने को मजबूर करेंगी जिससे कॉरपोरेट खाद्य प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भर खेती खत्म होगी। सरकारी खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और देश की खाद्य सुरक्षा कमजोर होगी। SKM इन नीतियों को राज्य सरकारों के संघीय अधिकारों पर हमला और केंद्र सरकार द्वारा सत्ता केंद्रीकरण तथा कृषि के कॉरपोरेटीकरण के रूप में देखता है और इसका विरोध करता है।

3. C2+50% फार्मूले पर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी हो और सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए।

4. समग्र कर्ज माफी हो, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा उत्पीड़न बंद हो:

माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (MFI) के एजेंट पूर्वजों जैसे सूदखोर जमींदारों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। MFI भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पैसे से ऋण देकर व्यापार कर रही हैं। भूमिहीन गरीब, दलित, आदिवासी और अन्य लोग एजेंटों के अत्याचार से अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं। महिलाएँ और बच्चियाँ उत्पीड़न और अपहरण का शिकार हो रही हैं। गहरे कृषि संकट के कारण लोग अत्यंत गरीब हैं और ऋण चुकाने में असमर्थ हैं। SKM जनता से अपील करता है कि अन्नदाता का सम्मान और प्रतिष्ठा लौटाएँ।

कानून बनाकर गाँवों में उत्पादक सहकारी समितियों की स्थापना की जाए जो किसान और कृषि श्रमिक परिवारों को बिना ब्याज कर्ज दें और MFI ऋण प्रणाली को 4% वार्षिक ब्याज पर सख्ती से नियंत्रित किया जाए।

5. बिजली क्षेत्र के निजीकरण का विरोध हो; स्मार्ट मीटर नहीं चाहिए:

लंबित बिजली बिलों को माफ किया जाए; ग्रामीण क्षेत्र को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए: ग्रामीण इलाकों को प्रति दिन 18 घंटे बिजली उपलब्ध हो, जिसमें सिंचाई के लिए पंप सेट शामिल हों;

राज्य सरकारों ने ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आरोप लगाकर बिजली बिलों को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया है जिससे उन्हें बकाया का दोषी ठहराया जा सके। ग्रामीण जनता को कार्पोरेट समर्थित, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नीतियों के कारण आय और रोज़गार के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। बिजली क्षेत्र में घाटा महंगी दरों पर निजी उत्पादकों से बिजली खरीदने और निजी वितरकों को सब्सिडी देकर सस्ती आपूर्ति के कारण हो रहा है, जो मुनाफा तो कमाते हैं पर सरकार को भुगतान नहीं करते। सरकारी विभागों ने भी अपने बिल जमा नहीं किये हैं।

6. पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग नीति को अस्वीकार करो; 2013 का LARR अधिनियम सख्ती से लागू करो:

पंजाब सरकार ने शहरीकरण के लिए सैकड़ों गाँवों को लैंड पूलिंग में शामिल किया है और कहा है कि भूमि का हिस्सा विकसित प्लॉट के रूप में लौटाया जाएगा। इससे ज़मीन वाले किसानों के स्वामित्व अधिकार, गिरवी रखने के अधिकार पर रोक लग गई है। इसने गाँव की साझा ज़मीन पर भूमिहीनों के अधिकारों को पूरी तरह खत्म कर दिया है और कंपनियों के ज़मीन अधिग्रहण का रास्ता बना दिया है।

7. सभी सरकारी पेंशन ₹10,000 प्रति लाभार्थी दी जाए:

जीवन यापन की लागत में भारी वृद्धि को देखते हुए, कानून बनाकर पेंशन (वृद्धावस्था, विधवा, विकलांग) को मौलिक अधिकार बनाया जाए।

8. पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध लगाने की सरकारी नीति को अस्वीकार करते हैं:

केंद्र सरकार द्वारा 10 वर्ष से अधिक पुराने सभी डीजल वाहनों और ट्रैक्टरों को प्रतिबंधित करने की योजना अव्यावहारिक है और यह पूरी तरह से कॉरपोरेट मुनाफे और राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है।

9. विश्व आदिवासी दिवस और मूलवासी दिवस, 9 अगस्त 2025 अमर रहे:

जिला अध्यक्ष रॉबिन नागर बताया वन अधिकार अधिनियम 2006 को इसकी मूल भावना में लागू किया जाए। आदिवासी और अन्य वनवासियों का विस्थापन नहीं हो, जंगलों की कटाई नहीं हो, और कॉरपोरेट खनन कंपनियों और रियल एस्टेट द्वारा पर्यावरणीय विनाश बंद हो।

10. उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की नीति नहीं चाहिए:

योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार 50 से कम छात्रों वाले 5000 प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करके बंद कर रही है। यह स्कूल की ज़मीन और संपत्ति को निजी स्वामित्व में बेचने की योजना है। हालांकि आदेश को रोक दिया गया है, इस योजना से स्कूलों की दूरी बढ़ेगी। स्कूलों में कम उपस्थिति का कारण शिक्षा की बदहाल स्थिति, अंग्रेजी मीडियम ना होना और शिक्षकों की कमी है। शिक्षा के अधिकार (RTE) कानून के तहत सरकार फीस प्रतिपूर्ति देकर निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है।

11. पुलिस और प्रशासन द्वारा समर्थित साम्प्रदायिक हिंसा को रोका जाए:

जिला मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान ने बताया अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों पर धर्म आधारित संगठित गिरोहों द्वारा कानूनविहीन हमले, उनके घरों और झुग्गियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बुलडोज़र से तोड़ना, डबल इंजन वाली सरकारों में तेजी से बढ़ रहा है। निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करना बंद किया जाए, सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएँ और गिरफ्तार व बंद लोगों को रिहा किया जाए। मछुआरा समुदाय से मुफ्त में नदी में मछली पकड़ने के अधिकार छीनने का आदेश वापस लिया जाए। मछली पकड़ने के अनुबंध देना बंद किया जाए,

इस मौके पर राजे प्रधान अजीत अधाना बेली भाटी अनित कसाना सुरेंद्र नागर सुनील प्रधान अमित जैलदार सचिन कसाना लाला यादव भगत सिंह प्रधान बेगराज प्रधान विनोद शर्मा सुबेराम मास्टर धनीराम मास्टर धर्मपाल स्वामी अनिल खटाना सुंदर खटाना योगी नंबरदार संदीप खटाना बिरजू रन्हेरा जोगिंदर तुगलपुर देवी राम प्रधान चाहत मास्टर जी सत्ते भाटी योगेश भाटी महेश खटाना सोनू भाटी सूरत नागर विवेक नागर सचिन नागर सुदर्शन तोगर कपिल नागर सोनू नगर गजेंद्र नागर लाला गुलाब चौधरी सचिन नागर संजीव मोरना अमित भाटी गुलाब चौधरी देवराज सिंह अमित डेढा ताराचंद जगदीश राजू चौहान जीते गुर्जर अजीत गैराठी चिराग बैसला अविनाश तवर गुल हसन अर्जुन प्रधान राजमल कपिल तंवर चंदर पाल बाबूजी राकेश ठेकेदार वीरू पिलवां कर्मवीर भाटी रवि प्रधान आदि हजारों कार्यकर्ता मौजूद रहे,

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