ग्रेटर नोएडा

जीबीयू में स्प्रिंगर नेचर द्वारा “पब्लिशिंग विथ पर्पस : स्ट्रेटेजीज फॉर बुक्स” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित

वैज्ञानिक लेखन, नैतिकता और डेटा-आधारित प्रकाशन रणनीतियों पर चर्चा

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में स्प्रिंगर नेचर के सहयोग से “पब्लिशिंग विथ पर्पस : स्ट्रेटेजीज फॉर बुक्स” विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छात्रों, शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

मुख्य वक्ता सुश्री काम्या खट्टर, सीनियर एडिटर, स्प्रिंगर नेचर, ने अपने 12 वर्षों के प्रकाशन अनुभव के आधार पर वैज्ञानिक लेखन, नैतिक लेखन और प्रभावी प्रकाशन रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने अकादमिक लेखन की प्रक्रिया को विचार निर्माण से लेकर प्रकाशन और वितरण तक सरल ढंग से समझाया।

सुश्री खट्टर ने प्रतिभागियों को बताया कि पुस्तक प्रस्ताव कैसे तैयार करें, लक्षित पाठक समूह की पहचान कैसे करें, तथा सामग्री को संपादकीय मानकों के अनुरूप कैसे ढालें। उन्होंने पांडुलिपि की संरचना, डेटा की प्रामाणिकता, पीयर-रिव्यू प्रक्रिया और कॉपीराइट व प्रकाशन नैतिकता जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया। साथ ही उन्होंने प्लेजरिज़्म जांच, सटीक संदर्भ प्रबंधन, संपादन और प्रूफरीडिंग के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने नैतिक लेखन, संदर्भ प्रबंधन और जनरेटिव एआई टूल्स के जिम्मेदार उपयोग पर प्रश्न पूछे, जिनका सुश्री खट्टर ने व्यवहारिक उदाहरणों सहित उत्तर दिया।

इस अवसर पर सुश्री मेघा मल्होत्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्प्रिंगर नेचर ग्रुप, भी उपस्थित रहीं। अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान डॉ. अरुण सोलंकी विभागाध्यक्ष , कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग और डॉ. विद्युषी शर्मा विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग ने किया। इस मौके पर प्रो. संजय कुमार शर्मा और डॉ. नीता सिंह विभागाध्यक्ष सूचना प्रौद्योगिकी भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुमेधा डांगी, यूएसआईसीटी की संकाय सदस्य, ने किया। सत्र का समापन एक सारगर्भित प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ।

कार्यक्रम के समापन पर डॉ. अरुण सोलंकी विभागाध्यक्ष , कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग ने दोनों वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सत्र प्रतिभागियों को वैज्ञानिक लेखन में सटीकता, पारदर्शिता और उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे वे वैश्विक शोध समुदाय में सार्थक योगदान दे सकें।

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