ग्रेटर नोएडा

मस्तिष्क तरंगों की भाषा समझना ही उपचार की दिशा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में डॉ. रूडिगर का प्रेरक व्याख्यान

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय “न्यूरो एवं बायोफीडबैक प्रशिक्षण एवं प्रमाणन कार्यक्रम” के द्वितीय दिवस पर जर्मनी से पधारे प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. रूडिगर ने विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं देश-विदेश से आए प्रतिभागियों को संबोधित किया।

यह कार्यक्रम माननीय कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह के मार्गदर्शन एवं कुशल नेतृत्व तथा अधिष्ठाता डॉ. वंदना पांडे, कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी एवं विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।

अपने प्रेरक व्याख्यान में डॉ. रूडिगर ने मस्तिष्क तरंगों, EEG तकनीक एवं न्यूरोफीडबैक प्रक्रिया के वैज्ञानिक आधार को अत्यंत सरल, रोचक और व्यावहारिक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को मापने के लिए EEG (Electroencephalography) तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिसके माध्यम से अल्फा, बीटा, थीटा और डेल्टा जैसी विभिन्न तरंगें मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रदर्शित करती हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इन तरंगों की आवृत्ति (Frequency) और आयाम (Amplitude) को नियंत्रित कर मस्तिष्क की सक्रियता में वृद्धि या कमी लाई जा सकती है, जिससे मानसिक स्थितियों और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन संभव होते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि न्यूरोफीडबैक तकनीक व्यक्ति को अपनी मस्तिष्कीय गतिविधियों के प्रति जागरूक बनाती है तथा निरंतर प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करती है। इससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों में उल्लेखनीय सुधार संभव है।

कार्यक्रम में विभाग के संकाय सदस्य, शोधार्थी, तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागी उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. रूडिगर के सत्र को अत्यंत ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक एवं व्यवहारिक रूप से उपयोगी बताया।

विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. आनंद प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में माननीय कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह, अधिष्ठाता डॉ. वंदना पांडे, और कुलसचिव श्री विकास त्रिपाठी के सहयोग एवं डॉ. रूडिगर के योगदान के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों और शोधार्थियों को आधुनिक मनोविज्ञान के उभरते क्षेत्रों से जोड़ने में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे।

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