आस्था

अपने हाथो विनाश गढ़ता हिन्दू समाज, अट्हास नहीं सत्य है – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

विगत वर्षो में की गयी चिंता आज सत्य हो रही है तत्पश्चात भी सनातनी हिन्दू समाज भविष्य की चुनौती से अभी भी विमुख है। माननीय न्यायालय और अन्य सरकारी संस्थाएं अपने आकड़ें प्रदर्शित कर रही हैं जनसँख्या का अनुपात हो या आर्थिक समृद्धि का अनुपात,हिन्दू समाज का प्रतिशत प्रतिवर्ष कम और मुस्लिम समाज का प्रतिशत निरंतर बढ़ रहा है। आर्थिक सर्वे में यह बात प्रमाणित हो गयी है की आय की दृष्टि से मुस्लिम समाज का आय प्रतिशत हिन्दू समाज की तुलना में दोगुना बढ़ा है जबकि यह प्रतिशत और भी ज्यादा होगा क्यूंकि भारत का असंगठित व्यापार जिसमे अधिकतर कब्ज़ा मुस्लिम समाज का है उसका तो आंकड़ा अभी सरकार लगा ही नहीं पायी है जो बहुत ज्यादा है । इसके अतिरिक्त सरकारी योजनाओं का अधिक लाभ भी मुस्लिम समाज को ही प्राप्त है क्यूंकि कागजों में उनकी आर्थिक सम्पन्नता का कोई ब्यौरा दिखाया ही नहीं जाता । हिन्दू समाज में विवाह न करने का प्रचलन, बच्चे पैदा न करना या कम करना , एकल जीवन व्यतीत करना यह सब इस बात का प्रमाण है की भविष्य में हिन्दू समाज के पास न शस्त्र होगा न साधन, न संख्या होगी, न शक्ति और न ही होगा धन जबकि मुस्लिम समाज के पास यह सब कुछ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा। इस सबके पश्चात हिन्दू समाज के पास पतन के अतिरिक्त क्या मार्ग है…विचार के साथ साथ कर्म भी करना होगा …अन्यथा…??

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