विचार

जिम्स ग्रेटर नोएडा:डॉक्टर की रेप और हत्या के विरोध में हड़ताल भी और रोगियों की सेवा भी

राजेश बैरागी (स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)

क्या कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला चिकित्सक की बलात्कार के बाद नृशंस हत्या किए जाने की घटना के बाद चिकित्सकों की सेवा के दौरान सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर सतह पर आ गया है? ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में मंगलवार से हड़ताल पर बैठे कनिष्ठ स्थानिक एवं प्रशिक्षु चिकित्सक न तो इस कांड की जांच सीबीआई को सौंपने से संतुष्ट हैं और न ही चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए वर्तमान में लागू कानून को ही पर्याप्त मानते हैं। हालांकि हड़ताल के बावजूद जिम्स में ओपीडी से लेकर रोगियों की सभी चिकित्सा सेवाएं यथावत जारी हैं।

गत 8-9 अगस्त की रात में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक 31वर्षिय महिला चिकित्सक के साथ हुई घिनौनी वारदात से देशभर के डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं।वे इस घटना के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इससे एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पतालों में ओपीडी और अन्य चिकित्सा सेवा ठप्प हो गई हैं। ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान जिम्स के जूनियर रेजीडेण्ट और इंटर्न डॉक्टर भी कल मंगलवार से पंजीकरण हॉल में दरी बिछाकर धरना दे रहे हैं।इन डॉक्टरों को लगता है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए न केवल वर्तमान में लागू कानून अपर्याप्त है बल्कि उसके तहत कार्रवाई भी नहीं होती है। डॉ विशाल कुमार सोनकर और डॉ राजन वर्मा

एक स्वर में सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग करते हैं।उनका नारा है नो सेफ्टी-नो ड्यूटी।वे इस कांड की शिकार हुई डॉक्टर के पीड़ित परिवार को यथोचित मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।उनके साथ अन्य डॉक्टरों का भी मानना है कि कोलकाता कांड की जांच सीबीआई को सौंपने के बावजूद दोषियों को सजा मिलने की क्या गारंटी है। हालांकि इस संस्थान के वरिष्ठ डॉक्टर हड़ताल के समर्थन में होने के बावजूद ओपीडी समेत सभी चिकित्सा सेवाएं जारी रखे हुए हैं,

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