ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण:अधिकारियों की सांठगांठ से पाई-4 सेक्टर के सीने पर दस एकड़ ग्रीन बेल्ट में बस गयी अवैध कॉलोनी

ग्रेटर नोएडा :आजकल अपने अधिसूचित क्षेत्र के गांवों में अपनी अधिग्रहित भूमि तलाश रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को शायद दिन में दिखाई न देने का गंभीर रोग लग गया है। होंडा कंपनी चौराहे पर सेक्टर पाई-4 के साथ चली आ रही ग्रीन बेल्ट पर भूमाफियाओं द्वारा पिछले कुछ सालों में कब्जा कर बहुमंजिला फ्लैटों, दुकान, ऑफिस और आवासीय भूखंडों की एक विशाल कॉलोनी खड़ी कर दी गई है और किसी को कानों-कान खबर नहीं है। अवैध रूप से बसी इस कॉलोनी में फ्लैटों की कीमत चालीस लाख रुपए और भूखंडों की कीमत एक लाख रुपए वर्ग गज तक है।

परी चौक से कासना को जाते हुए होंडा कंपनी चौराहे पर सीधे हाथ की ओर बने बहुमंजिला फ्लैटों की कॉलोनी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण या उसके द्वारा आवंटित भूमि पर किसी बिल्डर द्वारा नहीं बनाया गया है। यह समूची कॉलोनी प्राधिकरण द्वारा बनाई गई ग्रीन बेल्ट पर विकसित हुई है। इसमें सैकड़ों की संख्या में फ्लैट, मकान, दुकान, ऑफिस, गोदाम बन गए हैं। अवैध कॉलोनाइजरों द्वारा इस कॉलोनी को सेक्टर पाई -4 को जाने वाली सड़क से जोड़ दिया गया है। इसमें बने फ्लैट अवैध तो हैं ही, उनकी निर्माण गुणवत्ता भी राम भरोसे ही है। कभी कोई हादसा हो जाए तो जिम्मेदारों को खोजने के लिए एक एस आई टी का गठन अवश्य करना पड़ेगा।कोई नक्शा नहीं, कोई ले आउट प्लान नहीं, कोई आवंटन नहीं फिर भी इन फ्लैटों को नब्बे साल की लीज पर बेचा जाता है। ग्रामीणों को अपने घरों पर बिजली कनेक्शन के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र लाने के लिए प्राधिकरण भेजने वाली नोएडा पावर कंपनी ने इस अवैध कॉलोनी को किस नियम के तहत बिजली दी है, कोई नहीं जानता।सब रजिस्ट्रार कार्यालय इन फ्लैटों और इस कॉलोनी की अन्य भू संपत्तियों की रजिस्ट्री किस आधार पर करता है, यह भी एक बड़ा रहस्य है। सबसे खास है इस कॉलोनी की खास लोकेशन। शहर के एक पॉश सेक्टर से लगी, सूरजपुर कासना मुख्य मार्ग से स्पष्ट दिखाई देने वाली तथा प्राधिकरण द्वारा बनाई गई ग्रीन बेल्ट की लगभग दस एकड़ भूमि पर विकसित यह अवैध कॉलोनी प्राधिकरण के सजग सतर्क अधिकारियों को ही दिखाई नहीं देती है। एनजीटी की निगाहें भी इस पर नहीं पड़तीं।कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि प्राधिकरण का उद्यान विभाग इस भूमि पर ग्रीन बेल्ट को हरा भरा रखने के नाम पर वर्षों से बिल पर बिल फाड़ रहा हो,

रिपोर्ट राजेश बैरागी स्वतंत्र पत्रकार

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