दो दशक से रुका हुआ एक फैसला:ग्रेटर नोएडा की जीवनरेखा 130 मीटर रोड का टूटा हुआ हिस्सा अब होगा दुरुस्त
राजेश बैरागी( स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली 28 किलोमीटर लंबी 130 रोड के ठीक बीचोंबीच बीस बरस से मात्र पचास मीटर अधूरे पड़े हिस्से की समस्या से पार पा लिया है। इस बीच न जाने कितने अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी आये और गये परंतु यह समस्या बनी रही। नोएडा और दिल्ली से सरपट दौड़े चले आते वाहन चालकों के कदम यहां आते ही ठिठक जाते थे। एक बार एक मित्र ने यहां से गुजरते हुए पूछा था-क्या यह पचास मीटर हिस्सा प्राधिकरण ने इस खूबसूरत रोड को नजर लगने से बचाने के लिए अधूरा छोड़ा हुआ है? मैंने पिछले वर्ष अक्टूबर माह में एक पोस्ट के माध्यम से नवनियुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया था। तिलपता गोलचक्कर से मात्र पांच सौ मीटर आगे देवला गांव के उत्तर में 130 मीटर रोड के इस अधूरे और गड्ढा युक्त हिस्से पर प्राधिकरण के वर्क सर्किल-7 की ओर से एक बोर्ड लगाकर बताया गया है कि यह भूमि प्राधिकरण की नहीं है तथा इस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद का स्थगनादेश है। एक दशक से अधिक लंबे इस स्थगनादेश को समाप्त कराने के लिए क्या प्राधिकरण ने कभी कोई प्रयास नहीं किया होगा?जनचर्चा रही है कि इस स्थगनादेश के लिए प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी ही जिम्मेदार रहे हैं। एक शहर के मुख्य मार्ग के बीच में मात्र पचास मीटर हिस्से को व्यापक जनहित के आधार पर प्राधिकरण कभी का हासिल कर सकता था परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव और घर के विभिषणों के रहते यह काम कभी प्राथमिकता पर नहीं आ सका। बताया गया है कि सीईओ रवि कुमार एनजी ने इस हिस्से की मालिक तोशा पिक्चर ट्यूब कंपनी को जनहित के लिए इस हिस्से समेत चार एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए तैयार कर लिया है। हालांकि यह कंपनी इस रोड से लगी अपनी भूमि को फ्री होल्ड अथवा वाणिज्यिक उपभोग के लिए अनुमति हासिल करना चाहती थी। पिछली बोर्ड बैठक में कंपनी का यह प्रस्ताव विचार के लिए रखा भी गया था।परंतु अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने इस प्रस्ताव को यह कहकर लौटा दिया था कि क्या ऐसा पहले किसी मामले में किया गया है। बहरहाल इस विकट समस्या के समाधान के लिए वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी बिना लाग-लपेट बधाई के पात्र हैं,