गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस” पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जी.बी.यू.) के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (यू.एस.ओ.बी.टी.) द्वारा “छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस (जी.एल.पी.)” विषय पर एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला नेशनल जी.एल.पी. कंप्लायंस मॉनिटरिंग अथॉरिटी (एन.जी.सी.एम.ए.) तथा इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (ए.आर.सी.आई.) जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) भारत सरकार के अधीन स्वायत्त संस्थान हैं के सहयोग से आयोजित की गई। 
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और वंदना के साथ हुई, जो कार्यशाला की शुभारंभ का प्रतीक थी। जिसके पश्चात यू.एस.ओ.बी.टी. की अधिष्ठाता प्रोफेसर एस. धनलक्ष्मी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया, जिसमें उन्होंने शैक्षणिक अनुसंधान में जी.एल.पी. आधारित प्रक्रियाओं को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद डॉ. एकता कपूर, वैज्ञानिक ‘जी’ एवं प्रमुख, एन.जी.सी.एम.ए., डी.एस.टी. ने कार्यशाला का अवलोकन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रोफेसर राजीव वार्ष्णेय, शैक्षणिक अधिष्ठाता, जी.बी.यू. ने अपने संबोधन में अनुसंधान में नैतिकता और गुणवत्ता मानकों के पालन के महत्व पर बल दिया। माननीय कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने अपने विशेष संबोधन में अनुसंधान की विश्वसनीयता और डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने हेतु जी.एल.पी. सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में डॉ. एकता कपूर ने ओ.ई.सी.डी. (आर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) के जी.एल.पी. सिद्धांतों पर विस्तृत जानकारी दी। इसके पश्चात डॉ. नीलिमा मिश्रा, निदेशक, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल्स (एन.आई.बी.), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार , ने “शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में जी.एल.पी. का महत्व” विषय पर प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने जोर दिया कि जी.एल.पी. के सिद्धांतों का पालन विश्वसनीयता, पारदर्शिता और वैज्ञानिक अखंडता सुनिश्चित करता है।डॉ. विजय पाल सिंह, सी.एस.आई.आर.–आई.जी.आई.बी. से, ने जी.एल.पी. अध्ययनों में टेस्ट फैसिलिटी प्रबंधन, गुणवत्ता आश्वासन इकाई (क्यू.ए.यू.), और अध्ययन निदेशक की भूमिकाओं तथा परीक्षण सामग्री और परीक्षण प्रणालियों पर प्रकाश डाला। डॉ. सुधीर चंद्र सारंगी, प्रोफेसर, एम्स, नई दिल्ली, ने डेटा अभिलेखीकरण और दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया एवं इसके महत्व पर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद डॉ. पूनम यादव, वैज्ञानिक ‘डी’, एन.जी.सी.एम.ए., डी.एस.टी., ने राष्ट्रीय जी.एल.पी. कार्यक्रम का एक सार प्रस्तुत किया। कार्यशाला का समापन यू.एस.ओ.बी.टी. की विभागाध्यक्ष डॉ. रेखा पुरिया, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम में डॉ. वीरेन्द्र सिंह ध्याल, एन.जी.सी.एम.ए., डी.एस.टी. को उनके सहयोग और समन्वय के लिए धन्यवाद दिया गया,
जिन्होंने कार्यशाला के सफल आयोजन में अहम योगदान दिया। इस कार्यक्रम में लगभग सौ छात्रों, शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह कार्यशाला जी.एल.पी., गुणवत्ता आश्वासन, नियामक अनुपालन और नैतिक शोध मानकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मूल्यवान मंच साबित हुई। कार्यक्रम का समापन सक्रिय चर्चा और प्रतिभागियों द्वारा अपने भविष्य के शोध कार्यों में जी.एल.पी. सिद्धांतों को अपनाने की प्रतिज्ञा के साथ हुआ।





