बांग्लादेश हो या भारत इस्लामिक निजाम पुरे विश्व में एक समान – दिव्य अग्रवाल
इस्लामिक निजाम पुरे विश्व में एक जैसा क्योंकि उसका संचालन एक ही मजहबी शिक्षा पद्धति से होता है जो की उन क्षेत्रों में सार्वजनिक रूप से देखने को मिलता है जहाँ इस्लामिक जनसंख्या ज्यादा हो जाती है। अभी ताजा मामला बांग्लादेश सरकार के आदेश से प्रदर्शित हुआ जिसमें कहा गया की नमाज के समय सनातनी हिन्दुओ को पूजा,शंख,घंटे बजाने,आरती करने का अधिकार नहीं है। प समझिए कि भारत के उन क्षेत्रों में जहाँ इस्लामिक जनसंख्या ज्यादा है वहां पर भी पूजा पंडाल लगाना, शोभा यात्रा निकलना, भंडारा आदि करना संवेदनशील माना जाता है अनेको बार तो कट्टरवादी मानसिकता से ग्रसित लोग पथराव आदि तक कर देते हैं।
यह कैसा खोखला सेक्युलिरिजम है जिसको हिन्दू समाज पर मजहबी अत्याचार दिखाई ही नहीं देते, हिन्दू समाज रोजा इफ्तारी में भी नजर आएगा, ईद पर मिठाई भी बांटेगा, इस्लामिक पद्धति से पकी सेंवइयें भी खायेगा, अपने घर की बेटियों से इस्लामिक लोगो की कलाई पर राखी भी बंधवाएगा और तो और इस्लामिक जलसे , मोहर्रम जुलुस आदि की व्यवस्था में भी योगदान देगा । बदले में क्या पायेगा, प्रताड़ना, दुर्गति इतना ही नहीं इस्लामिक जनसँख्या ज्यादा होने पर सनातनी समाज के लोगो को पलायन तक करना पड़ता है उनका धार्मिक अस्तित्व भी संकट में आ जाता है।
अब तो भारत में भी आदेश दिए जाने लगे हैं की यदि गणेश उत्सव या दुर्गा पूजा के पंडाल लगाने हैं तो मुस्लिम समाज से सहमति ले लेना उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, यह एक प्रकार का इस्लामिक राज ही तो है,सनातनी समाज जजिया कर भी दे और अनुमति भी प्राप्त करे। सभ्य समाज को सोचना चाहिए की इस सेक्युलिरिजम नामक कैंसर से कब तक प्रताड़ित होना है और दुर्गति पूर्वक मृत्यु को कब तक प्राप्त करना है।