विचार

बॉलिवुड का दोहरा चरित्र – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)  

सभ्य समाज में किसी की भी हत्या को स्वीकार्यता नहीं दी जा सकती परन्तु पीड़ा तब होना स्वाभाविक है जब यही स्वघोषित सभ्य समाज अपने निजी लाभ,हानि,भय के कारण कभी मौन धारण करता है तो कभी मुखर होने का प्रयास करता है। बॉलीवुड में सनातनी भक्ति संगीतो का आधार माने जाने वाले गुलशन कुमार की हत्या मंदिर के बाहर ताबड़तोड़ गोलिया बरसाकर निर्ममता पूर्वक कर दी गयी थी तब बॉलिवुड ने मौन धारण कर लिया था। क्यूंकि बॉलिवुड में इस्लामिक समाज का आधिपत्य स्थापित हो चूका था इतना ही नहीं “डोंगरी से दुबई” नामक पुस्तक में तो यहां तक लिखा हुआ है की जिस दिन गुलशन कुमार की हत्या हुई उससे ठीक अगले दिन ही दुबई में बॉलिवुड की विशाल दावत हुई जिसमे अनेक दिग्गजों ने भाग लिया। आज वही बॉलिवुड, इस्लामिक समाज और राजनीति में लोकप्रियता प्राप्त करने वाले बाबा सिद्दीकी की हत्या पर भयंकर विलाप कर रहा है काश इसी प्रकार का विलाप गुलशन कुमार की निर्मम हत्या पर भी किया होता तो कम से कम बॉलीवुड पर मृत्यु की संवेदनाओं और प्रतिकार करने की मुखरता में तो पक्षपाती होने का आरोप न लगता।

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