बुलन्दशहर

शानो-शौकत से हुआ दुलदुल का आगाज 

शोगवारों ने किया रंजोगम का इजहार सीना जनी करते हुए किया जोरदार मातम

औरंगाबाद (बुलंदशहर )मौहर्रम पांच तारीख को कस्बे में शिया समुदाय के लोगों ने पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की तमाम साथियों सहित कर्बला में अत्याचारी क्रूर शासक यजीद के हाथों कर्बला में हुई शहादत की यादगार का प्रतीक दुलदुल घोड़े का मौहल्ला सादात स्थित बड़े इमामबाड़े से शानदार आगाज हुआ। सैयद शाहिद नक़वी ने मर्सिया पढ़ा। जुलूस में शामिल शिया शोगवार शोक के प्रतीक काले वस्त्र धारण कर नंगे पैरों मर्सिया और शहादत की गाथा पढ़ते चल रहे थे।

जुलूस की अगवानी अलम उठाये तीन युवा कर रहे थे। बड़ी संख्या में लोगों ने दुलदुल के प्रति सम्मान प्रकट किया और प्रसाद जलेबी बताशे मिष्ठान वस्त्र पैसे आदि निछावर कर उसकी बलैया लीं और अपने बच्चों परिजनों की सेहत सलामती की दुआ मांगी।

कस्बे के विभिन्न मार्गों से होते हुए जुलूस बड वाले इमामबाड़े के समीप पहुंचा तो शोगवारों ने सांकल कील कांटे जंजीर छुरी आदि ने सीना जनी करते हुए मातम शुरू कर दिया। हुसैन इस्लाम की याद में लोग उन्हें याद कर मातम मनाते रहे। पुनः मौहल्ला सादात स्थित बड़े इमामबाड़े में पहुंच कर सिर का मातम किया गया। तबर्रुक तकसीम कर जुलूस का समापन किया गया। इस अवसर पर कल्ले अब्बास उर्फ कब्बन, हसनैन अब्बास नकवी साजिद अली जर्रार हुसैन पोलू सैयद हिमायत अली साकिब नक़वी अरशद अब्बास मैराज हुसैन हुसैन अहमद शाहिद नक़वी सैयद मौहम्मद नक़वी मुबासिर नक़वी अली हुजूर अहसास अब्बास हसन हुजूर अबू तालिब रजा अब्बास राहिल सकलेन गौहर अली हुसैन अली आदि सैंकड़ों लोग मौजूद रहे। जुलूस देखने आसपास के देहात सहित दूर दराज से भी बड़ी संख्या में लोग आये।

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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