गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने धूमधाम से मनाया राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें 150 से अधिक छात्रों ने सक्रिय भागीदारी की। इस कार्यक्रम का आयोजन स्कूल ऑफ़ वोकेशनल स्टडीज एंड एप्लाइड साइंसेज के एप्लाइड फिजिक्स विभाग के सीवी रमन क्लब द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. पुष्पा बिंदल (भौतिकी विभाग, कालिंदी कॉलेज) रहीं, जिन्होंने “विज्ञान: मानव जीवन को आलोकित करता है” विषय पर प्रेरक व्याख्यान दिया। उन्होंने विज्ञान की दैनिक जीवन में परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रोत्साहित किया।
प्रतियोगिताओं में दिखी छात्रों की प्रतिभा कार्यक्रम के अंतर्गत पोस्टर प्रेजेंटेशन, मॉडल मेकिंग, प्रश्नोत्तरी और लाइव प्रयोग जैसी गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिसमें छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और वैज्ञानिक समझ का प्रदर्शन किया।
पोस्टर प्रेजेंटेशन में गौरांग वर्श्नेय ने “क्रिप्टोग्राफिक अनुप्रयोगों के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग” विषय पर शोध पोस्टर के लिए प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि पूजा मंडल का “इग्नाइटिंग यंग माइंड्स” शीर्षक सामान्य पोस्टर श्रेणी में विजेता रहा।
मॉडल मेकिंग प्रतियोगिता में वर्तिक चौरसिया ने “इंट्रावेनस अलर्ट सिस्टम” के लिए प्रथम पुरस्कार जीता। अन्य उल्लेखनीय मॉडल में “आपदा प्रबंधन”, “जल शुद्धिकरण प्रणाली” और “मंगल रोवर” शामिल थे।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में यश ने प्रथम स्थान हासिल कर अपनी वैज्ञानिक सूझ-बूझ का परिचय दिया।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने समापन भाषण में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के समन्वयकों डॉ. मौसुमी पोहित और डॉ. मनमोहन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों और आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की।
वैज्ञानिक नवाचार को प्रोत्साहन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 का यह आयोजन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की शोध, नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह कार्यक्रम अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।