गन्दे बदबूदार पानी से होकर गुजरने के बाद पहुंचे श्रद्धालु मंदिर
नगर पंचायत के तमाम दावों पर फिरा पानी ,योगी राज़ में भी नहीं हो सका जलभराव समस्या समाधान

औरंगाबाद( बुलंदशहर)सावन माह के अंतिम सोमवार को अपने अराध्य महादेव का जलाभिषेक करने वाले सैंकड़ों श्रृद्धालुओं को प्राचीन नागेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए जगह जगह गंदे बदबूदार नालियों के पानी से होकर गुजरने को बाध्य होना पड़ा। मंदिर रोड पर जगह जगह हुए जलभराव से नगर पंचायत के विकास और कमीशनखोरी भृष्टाचार लीपापोती की पोल खोल गई। श्रृद्धालुओं में शासन प्रशासन के टालू रवैए से खासा रोष नज़र आया।
पवित्र श्रावण मास के अंतिम सोमवार को प्राचीन नागेश्वर मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं को सबसे पहले शाही दवाखाने के नजदीक सड़क पर लबालब नालियों से बहती गंदगी और गन्दे पानी से होकर गुजरने को बाध्य होना पड़ा। उसके बाद भावसी रोड चौराहा के आगे जलभराव मिला और नागेश्वर मंदिर के बराबर जल भराव से होकर गुजरना पड़ा। नागेश्वर मंदिर परिसर के नजदीक और रास्ते में जलभराव की समस्या नयी नहीं है बल्कि अरसे से चली आ रही है। खास बात यह है कि यह समस्या नगरपंचायत के सर्वेसर्वाओं और जिम्मेदार नौकरशाहों के लिए कमाई का जबरदस्त जरिया बन चुकी है। समस्या समाधान कराये जाने के नाम पर बिना टैंडर निकाले बिना किसी प्रशासनिक अधिकारी के आदेशों के मनमाने ढंग से अपने चहेते ठेकेदारों से मोटी रकम की बंदरबांट कर ठेके पर काम करा लिया वो अलग बात है कि टैंडर निकाले जाने का विज्ञापन तक काम पूरा हो जाने के बाद समाचारपत्र में प्रकाशित हुआ और ठेका छोड़ने की खानापूर्ति कर दी गई। एक सभासद कविश अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लिया और शासन प्रशासन से शिकायत की लेकिन कार्रवाई होने से पहले ही अपनी गर्दन फंसती देख सर्वेसर्वाओं ने सैटिंग गैटिंग का खेल संपन्न कर मामले को रफा-दफा करा लिया।
मामले की गंभीरता इसी से पता चल जाती है कि ऐसा घोटाला भाजपा की सरकार रहते और कड़क तेवरों वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में अंजाम दिया गया और उसके जिम्मेदारों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकी। आलम यह है कि वो शान से तमाम सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों में घपले और घोटालों को अंजाम देने में मशगूल हैं।
मंदिर जाने वाले श्रृद्धालुओं ने जी भरकर लापरवाह जिम्मेदारों को जमकर कोसा।
रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल