साहित्य जगत

कलश और ज़र्द मौसम का सफ़र पुस्तकों पर हुई परिचर्चा

कवियों ने बहाई काव्य की रसधार

प्रयागराज: सद्भावना मंच प्रयागराज के बैनर तले हिन्दुस्तानी अकादमी के गाँधी सभागार प्रयागराज में डा अजय मालवीय की पुस्तक जर्द मौसम का सफर और पंडित राकेश मालवीय मुस्कान की पुस्तक नव दोहा कलश का मुख्य अतिथि महापौर गणेश केसरवानी, अध्यक्ष रविनन्दन सिंह, विशिष्ट अतिथि जाहिद अबरोल, वीरेन्द्र पाठक, अजामिल व्यास तथा आयोजक योगेन्द्र कुमार मिश्र विश्वबंधु ने संयुक्त रूप से विमोचन किया। इसके पूर्व अतिथियों ने माँ वीणापाणि के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में रविनन्दन सिंह ने कहा कि साहित्य का शिल्प और कार्यक्रम का शिल्प एक होना चाहिए। गजल कहना एक सलीका है। इसका पैटर्न समझना जरूरी है। राइटर्स बहुत हैं आर्टिस्ट कम। साहित्य की कोई सरहद नहीं होती। मनुष्य पर लिखना ही मानवता है।
इस अवसर पर महापौर श्री गणेश केसरवानी ने कहा कि यह भारत भूमि चिन्तन की भूमि है। प्रयागराज से डॉक्टर अजय मालवीय बहार और राकेश मालवीय मुस्कान की पुस्तकें साहित्य परम्परा की एक कड़ी है। मैं स्वयं साहित्य का प्रेमी हूँ। साहित्य को जीने की परंपरा प्रयागराज का गौरव है। यह एक उत्कृष्ट यज्ञ जैसा है। उन्होंने शहर में बन रही ब्रह्मा की मूर्ति की चर्चा की। कवि ही प्रेम के द्वारा वैश्विक युद्ध तक को काट सकता है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एक कवि गोष्ठी में उमेश श्रीवास्तव, रचना सक्सेना, सुशान्त चट्टोपाध्याय, शम्भुनाथ श्रीवास्तव, डॉक्टर रामलखन चौरसिया, असलम आदिल, योगेन्द्र कुमार मिश्र विश्वबंधु, डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय, डॉक्टर अजय मालवीय बहार इलाहाबादी, पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, मंजू प्रकाश, गीता सिंह, मिली श्रीवास्तव, विमला व्यास, इंदु जौनपुरी, कवि कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा, आदि ने बहुत सुंदर काव्य पाठ के साथ मंच को रोमांचित किया। कार्यक्रम का संचालन एम एस खान ने किया।
इस अवसर पर पूर्णिमा मालवीय, आकांक्षा मालवीय, श्रेया मालवीय, प्रेया मालवीय, केतन और मुदित मालवीय सहित तमाम लोग शामिल थे। पूरा हाल खचाखच भरा रहा।
धन्यवाद ज्ञापन शम्भुनाथ श्रीवास्तव ने किया।

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