ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में साइबर सुरक्षा पर पाँच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में, साइबर सुरक्षा पर पाँच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट (16-20 Dec. 2024) प्रोग्राम आयोजित किया गया। यह प्रोग्राम यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन कम्युनिकेशन एंड टेक्नोलॉजी द्वारा केंद्रिय उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC NOIDA), (जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY-Under ISEA initative) के तहत एक स्वायत्त वैज्ञानिक समाज है) के सहयोग से किया गया है। विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि जीबीयू के डीन एकेडमिक्स प्रो. एन. पी. मेलकानिया थे।

प्रो. मेलकानिया ने प्रतिभागियों को प्रेरित किया और साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवाचारों के महत्व के बारे में बात की। उद्घाटन सत्र में C-DAC की वैज्ञानिक E, श्रीमती रेखा सरस्वत, कांति सिंह और C-DAC के अन्य सम्मानित सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आरती गौतम दिनकर ने किया, इस अवसर पर डॉ. अरपित भारद्वाज, सूचना और प्रौद्योगिकी स्कूल के डीन, HoD-IT डॉ. नीता सिंह , HoD ECE डॉ. विदुषी शर्मा, डॉ. अनुराग सिंह बघेल, डॉ. प्रदीप तोमर, और फैकल्टी सदस्य उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फैकल्टी के ज्ञान को आधुनिक साइबर खतरों के बारे में सुदृढ़ करना और साइबर सुरक्षा के सिद्धांतों को गहरे से समझाना था। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. संजय कुमार शर्मा और डॉ. आरती गौतम दिनकर ने किया, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। पहले दिन, कार्यक्रम में साइबर सुरक्षा और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम-2023 (DPDP) पर परिचयात्मक सत्रों सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। C-DAC के विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों के बारे में जानकारी प्रदान की, जिसमें मैलवेयर, इसके लक्षण और हमलावरों की मानसिकता शामिल थी। साइबर किल चेन के चरणों पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें “रिकोनिसेंस” भी शामिल था, जो प्रतिभागियों को यह स्पष्ट समझ प्रदान करता है कि साइबर घुसपैठ कैसे होती है। कार्यक्रम में एडवांस पर्सिस्टेंट थ्रेट्स (APT), रैंसमवेयर और साइबर हमलों को रोकने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गई। डॉस (DoS) और डीडीओएस (DDoS) हमलों जैसे विभिन्न हमलों पर चर्चा की गई, जिनमें उनके प्रभाव और निवारण तकनीकों पर प्रकाश डाला गया। इसके अतिरिक्त, साइबर सुरक्षा नीतियाँ, घटना प्रतिक्रिया योजना और जोखिम मूल्यांकन पर भी चर्चा की गई, जिससे प्रतिभागियों को सुरक्षा जोखिमों की पहचान और समाधान के लिए उपकरण प्राप्त हुए। कार्यक्रम ने विशेषज्ञों द्वारा साझा किए गए वास्तविक जीवन के उदाहरणों और व्यावहारिक ज्ञान के साथ बहुत ही रोचक और सूचनात्मक अनुभव प्रदान किया। इसने फैकल्टी सदस्यों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता को उनके शिक्षण और शोध में समाहित करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया। दूसरे और तीसरे दिन C-DAC के सदस्य काजल और शुभम द्वारा मोबाइल फ़ोन सुरक्षा, पोर्ट स्कैनिंग, जोखिम मूल्यांकन विषय पर चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त उन्होंने खुद को हमलों और सुरक्षा उल्लंघनों से बचाने के लिए साइबर सुरक्षा उपकरणों और तरीकों के बारे में बात की। इस प्रकार के आयोजन, शैक्षिक पेशेवरों को साइबर सुरक्षा के बढ़ते और बदलते संकटों का सामना करने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कार्यक्रम में छात्र वालंटियर और कई अन्य छात्रों ने भाग लिया।

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