नोएडा

गार्डेनिया ग्रुप मामला:नोएडा प्राधिकरण आसमान ताकता रहा, बिल्डर ने नीचे से खींच ली उसकी जमीन

राजेश बैरागी( स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)

क्या गार्डेनिया ग्रुप के सेक्टर 75 स्थित एम्स मैक्स प्रोजेक्ट पर बकाया 1700 करोड़ रुपए की वसूली की कार्रवाई को बिल्डर ने अदालत की मदद से पलीता लगा दिया है? गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय की कमर्शियल कोर्ट के स्थगन आदेश से हतप्रभ नोएडा प्राधिकरण शीघ्र ही इस आदेश को न केवल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में चुनौती देगा बल्कि जिला न्यायालय से भी आदेश वापस लेने की गुहार लगाएगा।

गार्डेनिया ग्रुप की तिकड़मी चाल में फंसा प्राधिकरण फिलहाल इस मामले में मिले घावों को सहलाने में जुटा है। प्राधिकरण ने अपने 1700 करोड़ रुपए की वसूली के लिए गार्डेनिया ग्रुप के सेक्टर 75 स्थित वाणिज्यिक भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया था और बिना बिकी संपत्तियों को संबद्ध करने का भी आदेश दिया था। प्राधिकरण के विधि विभाग को अंदेशा था कि बिल्डर इस कार्रवाई के विरुद्ध न्यायालय जा सकता है। इसलिए जिला न्यायालय की सिविल कोर्ट में दायर होने वाले वादों की निगरानी की जा रही थी। सावधानी बरतते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद में बाकायदा कैविएट दाखिल किया गया था ताकि उच्च न्यायालय के किसी भी एकतरफा आदेश से बचा जा सके। परंतु बिल्डर ने खेला कर दिया। उसने कमर्शियल कोर्ट में याचिका दायर कर उसी दिन प्राधिकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने संबंधी एकतरफा आदेश हासिल कर लिया। प्राधिकरण को इस बात की कानों-कान खबर भी नहीं हुई। यह ऐसा ही था कि प्राधिकरण आसमान ताकता रहा और बिल्डर नीचे से उसकी जमीन खींच ले गया। प्राधिकरण सूत्रों का कहना है कि कमर्शियल कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर इस मामले को सुना और एकतरफा आदेश भी पारित कर दिया। प्राधिकरण इस मामले को हल्के में नहीं ले रहा है। बिल्डर को सबक सिखाने के लिए शीघ्र ही उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। इसके साथ ही कमर्शियल कोर्ट से भी अपने आदेश को वापस लेने की मांग की जाएगी। कमर्शियल कोर्ट द्वारा दिए गए इस आदेश को लेकर जिला न्यायालय में तरह तरह की चर्चाएं हवा में तैर रही हैं। हालांकि यह आदेश देने वाले न्यायिक अधिकारी का स्थानांतरण मुरादाबाद हो गया है,

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