ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन

“बौद्ध चिंतन की समझ में अभिधम्म की प्रासंगिकता: पाठ, परंपरा और समकालीन दृष्टिकोण”

ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस बड़े श्रद्धा, गरिमा और विद्वतापूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC), गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय तथा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश-विदेश से भिक्षु संघ के सदस्यों, बौद्ध विद्वानों, शोधकर्ताओं और गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का विषय “बौद्ध चिंतन की समझ में अभिधम्म की प्रासंगिकता: पाठ, परंपरा और समकालीन दृष्टिकोण” रखा गया, जिसका उद्देश्य अभिधम्म की शाश्वत शिक्षाओं को आधुनिक संदर्भों में समझना और प्रसारित करना है।

कार्यक्रम की शुरुआत मंगल पाठ और दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद अतिथियों का स्वागत पारंपरिक खातक स्कार्फ भेंट कर किया गया। उद्घाटन सत्र की मुख्य झलकियों में शामिल थे —

भिक्षुओं एवं जीबीयू के शोधार्थियों द्वारा धम्मसंगणी माटिका का पाठ,

जीबीयू के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह का स्वागत भाषण,

आईबीसी के महासचिव शार्टसे खेंसुर जांगचुप चोदिन रिनपोछे का आशीर्वचन,

आईबीसी द्वारा निर्मित वृत्तचित्र “डिसेमिनेशन ऑफ बुद्ध धम्म इन एशिया” का प्रदर्शन,

तथा प्रो. उमा शंकर व्यास का अभिधम्म के ऐतिहासिक और भाषाई महत्व पर विशेष व्याख्यान।

आईबीसी के महानिदेशक श्री अभिजीत हालदार ने संगठन की वैश्विक पहलों जैसे ग्लोबल बौद्ध समिट, एशियन बौद्ध समिट, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध फिल्म महोत्सव और पिपरहवा के पवित्र अवशेषों की 127 वर्ष बाद भारत वापसी पर प्रकाश डाला।

समारोह में मुख्य अतिथि हिज़ एमिनेंस 3rd केनचेन रिनपोछे (द्रिकुंग काग्यु परंपरा) को जीबीयू के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने सम्मानित किया। इसी क्रम में प्रो. उमा शंकर व्यास को कुलपति द्वारा, शार्टसे खेंसुर जांगचुप चोदिन रिनपोछे को प्रो. राजीव वर्शने, अधिष्ठाता (शैक्षणिक एवं बौद्ध अध्ययन संकाय) द्वारा, तथा श्री अभिजीत हालदार को डॉ. चिंतला वेंकट सिवासाई, सम्मेलन निदेशक एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों के निदेशक, जीबीयू द्वारा सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं सामूहिक भोजन के आमंत्रण के साथ हुआ। दो दिवसीय सम्मेलन के तकनीकी सत्रों में अभिधम्म के दर्शन, परंपरा और समकालीन महत्व पर गहन चर्चा जारी रहेगी।

यह आयोजन भगवान बुद्ध के तावतिंस स्वर्ग से संकिसा अवतरण दिवस की स्मृति में आयोजित किया गया, जो उनके करुणा, प्रज्ञा और सार्वकालिक शिक्षाओं की प्रासंगिकता का प्रतीक है।

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