आस्था

हनुमान जी ने भंडारे नहीं, विधर्मियो को दण्डित किया था – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव को भव्य रूप से आयोजित करना प्रत्येक हिन्दू का दायित्व तो है ही पर उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है उनके आचरण का अनुसरण करना। हनुमान जी महाराज ने स्वयं को धर्म को समर्पित तो किया ही साथ ही साथ विधर्मियो को बिना किसी क्षमा भाव के दंडित भी किया। हनुमान जी ने जब लंका को जलाया तो यह विचार नहीं किया की कौन बच्चा है कौन महिला है क्यूंकि जहां अधर्म का वास है वहां सब दोषी हैं जिन्हे क्षमा नहीं किया जा सकता । हाँ यह बात अलग है की विभीषण के यहां धर्म का वास था इसलिए उस क्षेत्र को कोई हानि नहीं हुई । सनातन में अधर्म के लिए क्षमा दान सबसे बड़ा पाप है कभी किसी देवता ने ऐसा नहीं किया फिर सनातनी क्षमा दान की शिक्षा कहाँ से प्राप्त किए यह आज तक समझ नहीं आया । यदि वास्तव में हनुमान जी महाराज के प्रति श्रद्धा है तो प्रभु राम के सम्मान के लिए , धर्म रक्षा के लिए , स्त्री और मानवता की सुरक्षा के लिए पुरुषार्थ करना होगा मात्र भंडारा करने से हनुमान जी प्रसन होते तो रामायण की पूरी कथा में भंडारे ही कर रहे होते । हनुमान जी महाराज के पुरुषार्थ , संघर्ष और दंड देने की न्याय नीति से ही आज पूरे विश्व में यदि सबसे ज्यादा मंदिर हैं तो हनुमान जी महाराज के ही हैं जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं यह उद्घोष आज भी सार्थक है,

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!