हिंदुत्व ही नहीं बचा तो राज किस पर करेंगे, शरीयत में संविधान नहीं होता – दिव्य अग्रवाल
हिन्दुओ के व्यापार कब्जाने की मंशा कोई नयी नहीं हैं पहले नरसंघार करके कब्जाने का प्रयास किया गया था अब नाम बदलकर कब्ज़ा किया जा रहा है । वर्ष १९४७ में जिन्ना के आदेश पर कलकत्ता में असंख्य हिन्दुओ का कत्लेआम इसलिए किया गया क्यूंकि उस समय कलकत्ता देश की वित्तीय राजधानी कही जाती थी और जीन्ना उस पर इस्लामिक राज करना चाहता था । परन्तु गोपाल पाठा वह व्यक्ति थे जिनके पुरुषार्थ और प्रतिकार ने इस नरसंघार को रोककर असंख्य हिन्दुओ की जान बचाई लेकिन इस्लामिक समाज ने आज भी हिन्दुओ के व्यापार कब्ज़ा करने की मंशा को त्यागा नहीं। पश्चिम बंगाल से लेकर कश्मीर तक इस्लामिक समाज ने पहले अपनतत्व बनाकर सनातनी समाज से नजदीकियां बढ़ाई तत्पश्चात दुर्गति कर उनका सब कुछ छीन लिया। योगी आदित्यनाथ जी के एक निर्णय ने स्पष्ट कर दिया की इस्लामिक समाज की रणनीति है क्या, हाँ यह बात अलग है की योगी जी महाराज के निर्णय से कुछ सत्ताधारी अवश्य परेशान हैं क्यूंकि उन्हें लगता है की योगी जी की बढ़ती लोकप्रियता उनके राजनितिक जीवन के लिए उचित नहीं है परन्तु विचार तो यह करना चाहिए जब हिंदुत्व को जिहादी राक्षस समाप्त कर देंगे तो राजनीति किसके लिए करोगे क्यूंकि इस्लाम में तो शरीयत का प्रावधान है लोकतंत्र या संविधान का नहीं,