विचार

उच्च न्यायालय के फैसले का असर-हिंडन यमुना डूब क्षेत्र में भूमाफियाओं और घर मालिकों की आंखों में लौटी चमक

राजेश बैरागी (स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)
क्या हिंडन और यमुना नदी के डूब क्षेत्र में स्थित भूमि के खरीद फरोख्त पर लगी रोक को खारिज करने के उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का पालन होगा या उत्तर प्रदेश सरकार इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी? हालांकि इस आदेश के बाद क्षेत्र में सक्रिय भूमाफियाओं के चेहरे चमक उठे हैं जबकि डूब क्षेत्र में अपने जीवन भर की पूंजी से मकान बनाकर बैठे लोगों को मालिकाना अधिकार और बिजली कनेक्शन मिलने की आस जग गई है।
गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद के हिंडन और यमुना नदी के डूब क्षेत्र में भूमि की खरीद फरोख्त पर लगी रोक हटाने के आदेश पर उत्तर प्रदेश शासन से दिशा निर गया है। इस संबंध में बीते शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला आपदा प्रबंधन अधिकरण की महत्वपूर्ण बैठक की गई।अपर जिलाधिकार(वित्त एवं राजस्व) अतुल कुमार ने बताया कि इस मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जवाब दाखिल किया गया था जिसे उच्च न्यायालय ने नकार दिया। इसलिए उच्च न्यायालय के आदेश के पालन अथवा उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए मामला शासन को संदर्भित किया गया है। उधर डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री खुलने के आदेश से डूब क्षेत्र में सक्रिय भूमाफियाओं की आंखों में चमक आ गई है। पिछले चार वर्षों में बेरोजगार हो गए भूमाफिया आदेश लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसी प्रकार डूब क्षेत्र में अपने जीवन भर की कमाई से भूखंड लेकर एक अदद छत की व्यवस्था करने वाले लोगों को भी रजिस्ट्री के द्वारा मालिकाना हक मिलने की आस जग गई है। इसी आदेश की रौशनी में बिजली विभाग भी डूब क्षेत्र में लगभग एक लाख घरों को बिजली कनेक्शन देने पर विचार कर रहा है। अभी तक इनमें से अधिकांश घर चोरी की बिजली से ही रौशन हो रहे हैं,

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