आस्था

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना मुहूर्त

धर्म चर्चा:शारदीय नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना का समय होता है, जब भक्तगण नौ दिन तक श्रद्धा और भक्ति से मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं।

नवरात्रि का समय और महत्व:
पितृ पक्ष के बाद: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद होता है। इसे पितरों की श्रद्धांजलि देने का समय माना जाता है।
अश्विन अमावस्या: नवरात्रि का आरंभ सर्व पितृ अमावस्या के बाद होता है। इस साल नवरात्रि की कलश स्थापना 3 अक्टूबर (गुरुवार) से शुरू हो रही है।
कलश स्थापना के मुहूर्त:
पहला मुहूर्त:

समय: सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक।
विशेषता: इस समय भक्तगण कलश स्थापना कर सकते हैं। शुभ-उत्तम मुहूर्त 06:15 बजे से 07:44 बजे तक रहेगा।
दूसरा मुहूर्त:

समय: दोपहर 11:46 बजे से 12:33 बजे तक।
विशेषता: यह अभिजीत मुहूर्त है, जिसे कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का पहला दिन:
मां शैलपुत्री की पूजा: नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजन करते हैं।
पूजा विधि:
स्नान और कलश स्थापना: भक्त सुबह स्नान कर शुद्धता के साथ पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करते हैं।
मां दुर्गा का आह्वान: फिर मां दुर्गा का आह्वान कर उन्हें श्रद्धापूर्वक फूल, फल, और अन्य भोग अर्पित करते हैं।
व्रत और उपवास: भक्त इस दिन विशेष रूप से उपवास रखते हैं और मां की आराधना में लीन रहते हैं।
निष्कर्ष:
शारदीय नवरात्रि का पर्व न केवल भक्ति और श्रद्धा का समय है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा के संचार का भी अवसर है। इस पावन अवसर पर मां दुर्गा की कृपा से भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की कामना करते हैं।

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