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परम प्रीमियम दुग्ध उत्पादों की क्वालिटी में कोई समझौता नहीं- राजीव कुमार

नई दिल्ली: परम प्रीमियम के दुग्ध उत्पादों की देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनी हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि कंपनी अपने उत्पादों की क्वालिटी को उत्कृष्ट बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहती है तथा केवल वीएलसी के कलेक्शन वाले दूध से ही देसी घी दूध पाउडर रबड़ी दही छाछ मक्खन फ्लेवर मिल्क आदि सभी उत्पाद बनाए जाते हैं। इस वजह से कंपनी का उत्पादन यूएसए, थाईलैंड, ओमान, बांग्लादेश, यूएई सहित विभिन्न देशों में सराहा जाने लगा है।

परम डेयरी लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव कुमार का कहना है कि वर्ष 1996-97 के दौरान हमने परम डेयरी नाम से खुर्जा में प्लांट लगाया तथा परम प्रीमियम ब्रांड नाम से देसी घी एवं स्कीम्ड मिल्क पाउडर का उत्पादन लगभग 2 लाख लीटर से शुरू किया। हमारा प्लांट दिल्ली खुर्जा रोड पर लगा हुआ है, जहां दूध की क्वालिटी उत्कृष्ट मानी जाती है। श्री कुमार ने बताया कि प्रारंभ में हमने दो लाख लीटर से उत्पादन शुरू किया तथा वर्तमान समय में 10 लाख लीटर दैनिक क्षमता का प्लांट हो गया है। कंपनी का दूध कलेक्शन हेतु नेटवर्क वीएलसी का लगभग 5 हजार गांवों में है। यह भी बताते चलें कि वीएलसी का मतलब विलेज लेवल सेंटर होता है, उक्त गांवों में कंपनी द्वारा दुधारू पशुओं को खरीद कर पशु पालकों को दिया जाता है, जिसका सारा देखभाल कंपनी करती है। वही कलेक्शन का लिक्विड दूध कंपनी में प्रोसेसिंग के लिए आता है।

कंपनी द्वारा इस समय देसी घी, दूध पाउडर, डब्ल्यूएमपी,छाछ, दही, फ्लेवर मिल्क, रबड़ी,मिठाई एवं बटर सहित विभिन्न उत्पाद बनाया जा रहा है, जिसमें निर्यात दूध पाउडर, देशी घी का चल रहा है तथा विभिन्न पाश्चात्य के देशों के लिए निर्यात हो रहा है। हम मानते हैं कि वर्तमान में निर्यात मांग अनुकूल नहीं है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दूध पाउडर के भाव नीचे आ गए हैं तथा यहां भी महाराष्ट्र तमिलनाडु में लिक्विड दूध सस्ता होने से वहां दूध पाउडर का उत्पादन मंदे पड़ते में हो रहा है। यही कारण है कि ज्यादा निर्यात के सौदे महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के प्लांट से ही हो रहे हैं। उत्तर भारत की कंपनियां इस बार लिक्विड दूध के ऊंचे भाव होने से पड़ते के अभाव में दूध पाउडर का निर्यात कम कर पा रहा है। केसिन का भी निर्यात अनुकूल नहीं है, इन परिस्थितियों में अभी कुछ दिन दूध पाउडर के भाव टिके रहेंगे, लेकिन इससे मंदे की गुंजाइश नहीं है। अभी हमारी कंपनी क्वालिटी पर विशेष ध्यान दे रही है, भले ही प्लांट क्षमता के अनुरूप न चले। हम मानते हैं कि मिलावट करने वाले किसी भी ब्रांड का माल बनाकर मंडियों में बेच देते हैं, जिससे ओरिजिनल निर्माताओं को दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारे राष्ट्र का स्लोगन है– सत्यमेव जयते। इस आधार पर सत्यकी हमेशा जीत होती है।

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