ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 4वां क्षेत्रीय ‘इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एप्लाइड एथोलॉजी’पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) ने शनिवार को “हैप्पी एनिमल्स, हेल्दी यील्ड: इनसाइट्स ऑन साइंस ऑफ एनिमल बिहेवियर” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सोसाइटी फॉर एनिमल एथोलॉजी (ISAE) की 4वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में किया। यह कार्यक्रम ISAE–इंटरनेशनल और GBU द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया, जिसे इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर एप्लाइड एथोलॉजी का सहयोग प्राप्त हुआ।

कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 6 अंतरराष्ट्रीय तथा 4 राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक, अकादमिक विद्वान, वैज्ञानिक, पशु चिकित्सक और विद्यार्थी शामिल थे। प्रतिभागी यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज, ब्राजील और नाइजीरिया के विश्वविद्यालयों, दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, एनडीआरआई, एनएसयूटी, मोहाली सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े थे। चर्चा का मुख्य विषय पशु कल्याण, व्यवहार और कृषि उत्पादकता के बीच अहम संबंध रहा।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं आयोजन सचिव डॉ. रेखा पुरिया के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने भारत में पशुओं के महत्व और उनके प्रति गहन सम्मान पर प्रकाश डाला। इसके बाद डॉ. राजीव वर्शनी, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के डीन, ने कहा कि पशु कल्याण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसे विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर उठाया जाना चाहिए। उसी सत्र में डॉ. विजय पाल सिंह, क्षेत्रीय आयोजन सचिव (ISAE) ने टिकाऊ कृषि की नींव के रूप में पशु कल्याण पर जोर देते हुए इसके लिए कानूनों को मजबूत और सुधारने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, साथ ही उनके कार्यान्वयन में मौजूद अंतराल की ओर ध्यान आकर्षित किया।

ISAE अध्यक्ष प्रो. मारिया होत्ज़ेल ने खाद्य सुरक्षा में पशु कल्याण की वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, जबकि विकास अधिकारी डॉ. ओलुवासेउन सेराह इयासेरे ने शोध, शिक्षा और नीतियों के समन्वय में ISAE की पहल साझा की।

GBU के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने वैज्ञानिक और करुणामयी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य अतिथि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंदरजीत सिंह ने भारतीय डेयरी क्षेत्र में पशु व्यवहार अध्ययन के महत्व पर जोर दिया।

कार्यशाला में प्रो. डोनाल्ड एम. ब्रूम, डॉ. जैनिस सिगफोर्ड, प्रो. रोसांगेला, गुयेन वान क्वोक और डॉ. अनामिका शर्मा जैसे विशेषज्ञों ने वैश्विक दृष्टिकोण साझा किए। सत्रों में सक्रिय संवाद और विचार-विमर्श हुआ। कुल मिलाकर छह अंतरराष्ट्रीय और चार भारतीय विशेषज्ञों ने कार्यक्रम में योगदान दिया, जिससे विविध दृष्टिकोण सामने आए।

कार्यक्रम का समन्वयन बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डॉ. रेखा पुरिया, डॉ. जे.पी. मुयाल और डॉ. इम्तेयाज़ क़मर ने किया। कार्यक्रम को डॉ. निशा गौर और डॉ. इति शर्मा के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसमें छात्र कोर टीम—दीप्ति, तरुण, मनोहर, भक्ति और साक्षी—का अमूल्य योगदान रहा। सभी संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित की।

समापन सत्र में डॉ. विजय पाल सिंह ने घोषणा की कि अगले वर्ष GBU में इसी विषय पर एक भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें विश्वभर के प्रमुख वैज्ञानिक और विद्वान भाग लेंगे।

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