बुलन्दशहर

कुकुरमुत्तों की तरह चल रही हैं पैथालॉजी लैब,सील लगने खुलने के खेल में होती है अवैध वसूली

स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में बिना पंजीकरण बिना मानक धड़ल्ले से चलाई जा रही हैं पैथालॉजी लैब

औरंगाबाद( बुलंदशहर )कस्बा औरंगाबाद में अनाधिकृत रूप से पैथालॉजी लैब धड़ल्ले से संचालित की जा रही हैं। गली गली चल रही इन पैथालॉजी लैबों पर झोलाछाप डॉक्टरों की डिमांड पर जांच के नाम पर मरीजों को जी भर कर लूटा जाता है और लैब पर जांच हेतु भेजने वाले अधिकांश झोलाछाप डॉक्टरों को बतौर कमीशन मोटी रकम ईमानदारी से पहुंचा दी जाती है। कहना उचित होगा कि कस्बे के झोलाछाप डॉक्टर ही इन अवैध पैथालॉजी लैबों के वास्तविक अन्न दाता की भूमिका निभा रहे हैं।

एक मरीज के तामीरदार आसिफ ने बताया कि एक पैथालॉजी लैब पर जांच के नाम पर खानापूर्ति करके जो रिपोर्ट टाइफायड बुखार की दी गई दूसरी लैब ने रिजल्ट निगेटिव टाइफायड का दिया।

जानकार सूत्र बताते हैं कि इन पैथालॉजी लैबों पर कोई भी वैध डिग्री धारक कार्यरत नहीं होता बल्कि अधिकांश नौसीखिए जांच करते हैं जिनके पास कोई डिग्री नहीं होती है।

ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग को इस गोरखधंधे की जानकारी ना हो। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बाकायदा महीना वसूली करने की एवज में उन्हें खुला संरक्षण प्रदान करने में मशगूल हैं। और यदि भूले-भटके कभी स्वास्थ्य विभाग किसी लैब की जांच पड़ताल करता भी है तो पैथालॉजी लैब पर सील लगा दी जाती है और कुछ दिन बाद सील खुल जाती है। इस खेल में स्वास्थ्य कर्मियों की चांदी हो जाती है नतीजा सिफर ही रहता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनय कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग शिकायत मिलने पर जांच करता है और कमी पाये जाने पर लैब के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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