विचार

ईसाइयत पर प्रश्न राजा भैया की मुखरता का परिणाम – दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)   

उत्तर प्रदेश:जीवन में सुख या दुःख का निर्धारण किसी व्यक्ति के प्रारब्ध और कर्मो पर निर्भर हैं जिसको सनातन धर्ममें प्रमुखता से स्वीकार किया जाता है।  लेकिन कुछ मजहब और पंत ऐसे हैं जो विभिन्न प्रकार के षड्यंत्र कर मानवता को भ्रमित करते रहते हैं जिसके निमित ईसाइयत में हालेलूईया ऐसा ही है । अनेको बार देखा जाता है की ईसाइयत प्रचारक किसी के माथे पर अंगूठा रखकर किसी को अपनी हथेली की ऊर्जा से एकदम स्वस्थ कर देते है पर जब ईसाइयत के सबसे बड़े पद पर आसीन पॉप गंभीर रूप से बीमार होते हैं तो कोई हालेलीयुआ चमत्कार नहीं करती । जिस हालेलीयुआ के चमत्कार से गरीब और अशिक्षित समाज को भ्रमित कर यह बताया जाता है की सनातन धर्म को छोड़कर ईसाई बन जाओ वास्तविक रूप से वह हालेलीयुआ ईसाइयो पर कोई चमत्कार नहीं कर पाता।

इस विषय को उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली राज परिवार के सदस्य,कुंडा विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया ने पूरी दृढ़ता और स्पष्टता के साथ अपने x अकाउंट पर रखा है जिस पर लोगो की सकारात्मक प्रतिक्रिया भी आ रही हैं। यह विचारणीय भी है की हालेलूईया जैसा चमत्कार पॉप पर उपयोग क्यों नहीं किया गया ।जिस प्रकार राजा भैया ने सामाजिक जागरूकता के लिए समूचे विश्व के समक्ष  प्रश्न रखा है  भारतीय राजनीति में इस विषय को इतनी मुखरता के साथ स्वतंत्र भारत में तो किसी ने नहीं  उठाया। राजा भैया की मुखरता प्रतिदिन आक्रामक और उग्र रूप ले रही है अब यह मुखरता हनुमान जी महाराज की कृपा है या राजा भैया के संस्कारों में देवत्व का बीज रोपण है यह तो प्रभु ही जाने पर राजा भैया ने धर्म और मान्यताओं को लेकर जब भी कोई विषय समाज के समक्ष रखा है उस विषय पर समाज सोचने पर मजबूर अवश्य हुआ है ,

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