नैतिक मूल्यों और आत्मबोध का संदेश लेकर निकली रथ यात्रा

दादरी (गौतम बुद्ध नगर)भारत राष्ट्रीय सेवक संघ के तत्वावधान में आज दादरी की धरती पर एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी रथ यात्रा का आयोजन किया गया। यह रथ यात्रा समाज में नैतिक मूल्यों के संवर्धन, आत्मबोध की जागरूकता, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनचेतना फैलाने के उद्देश्य से निकाली गई। इस रथ यात्रा का नेतृत्व प्रख्यात शिक्षाविद् एवं समाजसेवी प्रोफेसर विनोद नागर ने किया, जिनके कुशल मार्गदर्शन में यह आयोजन एक सामाजिक जागरण का उत्सव बन गया।
सुबह के समय दादरी नगर के मुख्य चौक से प्रारंभ हुई यह यात्रा जनपद के विभिन्न मार्गों से होकर गुज़री। रथ को पुष्पों, ध्वजों और भारतीय संस्कृति की झांकियों से सजाया गया था। यात्रा में हर वर्ग, हर आयु के लोग सम्मिलित हुए — बच्चे, युवा, महिलाएँ और वरिष्ठ नागरिक सभी एक साथ “नैतिकता ही राष्ट्र की शक्ति है” जैसे नारों से वातावरण को गूंजायमान कर रहे थे।
प्रोफेसर विनोद नागर ने यात्रा के शुभारंभ अवसर पर कहा कि “आज का समय केवल भौतिक प्रगति का नहीं, बल्कि नैतिक और आत्मिक प्रगति का भी है। जब व्यक्ति स्वयं को समझने का प्रयास करता है, तब समाज में सच्चे अर्थों में परिवर्तन आता है। यह रथ यात्रा आत्मबोध और नैतिकता की ओर समाज को जाग्रत करने का प्रयास है।”
रथ यात्रा के दौरान पर्यावरण सर्वेक्षण भी किया गया, जिसमें स्थानीय युवाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में पेड़ों की स्थिति, स्वच्छता और जल-संरक्षण से संबंधित आंकड़े संकलित किए। प्रो. नागर ने इस अवसर पर युवाओं को संदेश दिया कि “पर्यावरण की रक्षा केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और जीवनशैली का हिस्सा है।”
कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों की भी सहभागिता रही। अशोक अढ़ाना, धीरज सिंह, सतपाल अधाना, उदयवीर सिंह, पवन हर्षाणा, सतीश सैनी सहित अनेक गणमान्य लोग यात्रा में सम्मिलित हुए। इन सभी ने एक स्वर में कहा कि समाज की उन्नति तभी संभव है जब उसमें नैतिकता, सहिष्णुता और संवेदनशीलता का विकास हो।
रथ यात्रा के दौरान नगरवासी बड़ी श्रद्धा और उत्साह से स्वागत करते दिखाई दिए। कई स्थानों पर पुष्पवृष्टि कर यात्रा का अभिनंदन किया गया। बच्चों और युवाओं ने पर्यावरण और नैतिकता पर आधारित नुक्कड़ नाटक, गीत और नारे प्रस्तुत कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
यात्रा का समापन नगर के विशाल मैदान में हुआ, जहाँ एक संगोष्ठी आयोजित की गई। वक्ताओं ने कहा कि “स्वयं का बोध ही समाज सुधार की पहली सीढ़ी है। जब व्यक्ति अपने कर्तव्यों, सीमाओं और उद्देश्य को समझ लेता है, तब समाज में नैतिक शक्ति और एकता स्वतः विकसित होती है।”
अंत में प्रोफेसर विनोद नागर ने सभी प्रतिभागियों, स्वयंसेवकों और उपस्थित नागरिकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह रथ यात्रा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सतत आंदोलन की शुरुआत है जो नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण और आत्म जागरण के मूल्यों को पुनः जीवित करेगी।
इस यात्रा ने दादरी ही नहीं, पूरे गौतम बुद्ध नगर में एक नई चेतना का संचार किया और समाज को एक सशक्त संदेश दिया “नैतिकता ही सच्चा धर्म है और आत्मबोध ही सच्चा ज्ञान।”





