शैलपुत्री का स्वरूप: (भाग २ )
धर्म चर्चा-शैलपुत्री का स्वरूप:शैलपुत्री देवी के सिर पर चंद्रमा का मुकुट है, और वे नंदी बैल की सवारी करती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है। उनका यह स्वरूप सौम्यता और शांति का प्रतीक है, लेकिन साथ ही वे अत्यधिक शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
त्रिशूल उनके शक्ति और संहारक रूप को दर्शाता है।
कमल का फूल शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है।
नंदी बैल उनकी भक्ति और तप का प्रतिनिधित्व करता है।
3. माँ शैलपुत्री की पूजा का महत्व:
माँ शैलपुत्री की पूजा करने से भक्त को भौतिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। उन्हें शुद्धता, समर्पण और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
माँ शैलपुत्री की उपासना से मनुष्य की मूलाधार चक्र (जड़ चेतना) जागृत होती है, जो जीवन के सभी भौतिक और आध्यात्मिक संघर्षों को समाप्त करने में सहायक होती है।
माँ की पूजा करने से भक्त को जीवन में स्थिरता, संकल्प शक्ति और सफलता प्राप्त होती है। वे भक्तों को मानसिक शांति और संकल्प की शक्ति प्रदान करती हैं, जिससे कठिनाइयों को दूर किया जा सके।
4. नवरात्रि में माँ शैलपुत्री की पूजा:
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो कि आरंभ का प्रतीक है। माँ शैलपुत्री जीवन में नयी शुरुआत और साहस का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से न केवल भौतिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। भक्तजन इस दिन उन्हें शुद्ध घी का भोग लगाते हैं, जिसे माना जाता है कि यह उन्हें लंबी उम्र और आरोग्यता का वरदान देता है।