ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने दसवां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस “आयुर्वेद बायोलॉजी और वन हेल्थ” सम्मेलन का किया आयोजन 

ग्रेटर नोएडा: दसवें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के स्कूल ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा “आयुर्वेद और वन हेल्थ” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। यह आयोजन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद, केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, पंजाबी बाग, और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार का भी सहयोग था।

सम्मेलन की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और धन्वंतरि वंदना से हुई। इसमें प्रतिष्ठित वक्ताओं ने आयुर्वेद के भविष्य पर विविध दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. विपिन कुमार, निदेशक, एन.आई.एफ. ने आयुर्वेदिक पौधों पर मानकीकरण प्रोटोकॉल और कोडिफाइड जानकारी की आवश्यकता पर बल दिया।

जी.बी.यू. के कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने आयुर्वेद के शरीर, मन और चेतना पर समग्र दृष्टिकोण को उजागर किया। प्रोफेसर उन्नत पंडित, कंट्रोलर जनरल पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क, ने आयुर्वेद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वसुधैव कुटुम्बकम” के दृष्टिकोण से जोड़ा। मुख्य अतिथि प्रोफेसर योगेंद्र कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, एम्स जम्मू ने एकल-अणु चिकित्सा और पालीफार्मेसी चिकित्सा के बीच अंतर बताया और गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस (जीएमपी) और वैज्ञानिक प्रमाणन के महत्व पर जोर दिया।

सम्मानित अतिथि प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष, ऐमिल फार्मास्युटिकल्स ने आयुर्वेद के सिद्धांत ‘चिकित्सा’ के माध्यम से रोगमुक्त समाज की आवश्यकता पर बल दिया। प्रोफेसर राजीव वार्ष्णेय, जी.बी.यू. के शैक्षणिक अधिष्ठाता, ने आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशंस के लिए सरल नियमों की आवश्यकता का समर्थन किया। डॉ. अनु टी. सिंह, मुख्य संचालन अधिकारी, डाबर रिसर्च फाउंडेशन ने आयुर्वेद और फार्मास्युटिकल विज्ञान के संयोजन की क्षमता को पहचाना और यह समझाया कि यह कैसे आकस्मिक चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।

इस कार्यक्रम में प्रोफेसर एस. धनलक्ष्मी, अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी; प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी, जे.एन.यू.; डॉ. इम्तियाज क़मर, जी.बी.यू. और डॉ. नागेंद्र सिंह, जी.बी.यू. भी उपस्थित रहे। लगभग दो सौ शिक्षाविदों, शोधकर्ता, छात्र और पेशेवरों ने भाग लिया, जिनमें जे.एन.यू, एम्स, डीआरडीओ, आईसीजीईबी, सीसीआरएएस और एआईआईए जैसे प्रमुख संस्थान शामिल थे। सम्मेलन में तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाएं हुईं, जिनमें आयुर्वेद और आधुनिक जीवविज्ञान के बीच सेतु बनाने, जीएमपी और उत्पाद विकास पर विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन का समापन एक 30 मिनट के योग सत्र से हुआ, जिसका संचालन योग प्रशिक्षक एवं प्लेनिट्यूड फ्रेग्रेन्सेस की संस्थापक सुश्री वैशाली सिंह ने किया।

सम्मेलन का समापन पर डॉ इम्तियाज़ क़मर के धन्यवाद ज्ञापन और इस विचार के साथ हुआ कि आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का संयोजन वन हेल्थ पहल को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ा सकता है।

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