पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर दो दिवसीय सेमीनार का सफल आयोजन
पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने अपने समय में जिस धारा को चुना,वह वर्तमान समय की मुख्य धारा बन गयी है - पद्मश्री रामबहादुर राय
ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर दो दिवसीय सेमीनार का सफल आयोजन हुआ,
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर राष्ट्रीय सेमीनार के समापन सत्र को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री रामबहादुर राय ने कहा कि भारतवर्ष के ‘स्व’ को जागृत करना पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के दर्शन का मूल आधार है, क्योंकि हमारा भविष्य हमारी कल्पनाओं और हमारी मुठ्ठी में है। यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंसन सेंटर में आयोजित किया गया था।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. बंदना पाण्डेय के संयोजन और नेतृत्व में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमीनार के दूसरे दिन के पैनल डिस्कसन को स्वामी विवेकानंद को समर्पित किया गया और उनके जीवन दर्शन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया । इस पैनल डिस्कसन की अध्यक्षता आर्गेनाइजर पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर द्वारा किया गया, साथ ही इस पैनल में जे एन यू के प्रो. सांतेश कुमार सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. भुवन झा और डॉ. वेदमित्र शुक्ल शामिल थे। इससे पहले देश भर से आए हुए प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर और शोधार्थियों द्वारा अलग-अलग सत्रों में उपाध्याय जी के दर्शन पर आधारित सौ से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति की गयी ।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार और संपादक श्री रामबहादुर राय ने इस अवसर पर कहा कि “पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने अपने दर्शन में एक मूल मंत्र दिया है ‘परिष्कार के लिए पुरस्कार’ यानी जो वर्तमान स्वरूप है उसमें लगातार परिष्कार होते रहना चाहिए।
इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के दर्शन पर आयोजित ऐसे सेमीनार सिर्फ मानविकी और कला संकाय तक ही सीमित न होकर, विज्ञान और अन्य संकायों के लिए भी प्रेरणादायी और अनुकरणीय है। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद की निदेशक डॉ. पूजा व्यास ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर समर्पित ऐसी सफल संगोष्ठियों के माध्यम से ही हम एकात्म मानववाद के दर्शन पर चल कर भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ा सकते हैं।
इस अवसर पर मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता और जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग की अध्यक्ष प्रो. बंदना पाण्डेय ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के दर्शन का उद्देश्य प्रत्येक मानव को गरिमामय जीवन प्रदान करना है। इसके साथ-साथ संगोष्ठी की संयोजक के रूप में सेमीनार रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए प्रो. बंदना पाण्डेय ने बताया कि इस सेमीनार में कुल 242 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जो देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, शोधार्थी और मीडियाकर्मी शामिल रहे, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण वैचारिक संगोष्ठी पर दो दिनों तक गहन चिंतन-मनन और संवाद कर इसे सफल बनाया।
समापन समारोह से पहले इस संगोष्ठी के दूसरे दिन की शुरुआत के प्रथम सत्र में डॉ. निष्ठा द्विवेदी, डॉ. आनंद प्रताप सिंह एवं पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलौंग के डॉ. ओमप्रकाश की अध्यक्षता में शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया। उसके बाद हिंदू स्टडी के विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार मिश्र एव राजनीति विज्ञान एवं अन्तराष्ट्रीय संबंध के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज दीप की अध्यक्षता में शोध पत्रों की प्रस्तुति की गई।
संगोष्ठी के समापन समारोह में जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनीत कुमार ने उपस्थित समस्त लोगों का आभार व्यक्त किया। अंग्रेजी विभाग की डॉ. मंजरी सुमन, डॉ. विपासा सोम एवं जनसंचार विभाग की मिस करुणा सिंह ने मंच का संचालन किया । आयोजन समिति में जनसंचार एवं मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विमलेश कुमार, डॉ. कुमार प्रियतम एवं डॉ. प्रतिमा एवं शोधार्थी आयुषी, स्वेता आर्या, शिवानंद पाण्डेय, विकास कौशिक, यथार्थ सिक्का के साथ-साथ मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के कई विभागों के आधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल थे। इस अवसर पर भारी संख्या में अलग-अलग राज्यों से आए प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने इस राष्ट्रीय सेमीनार के इस वैचारिक विमर्श में शामिल होकर अपना ज्ञान बढ़ाया ।