ग्रेटर नोएडा

सिद्धं कैलिग्राफी: रूप-ब्रह्म की अभिव्यक्तियाँ” विषयक तीन दिवसीय प्रदर्शनी का समापन समारोह

ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) में आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी “सिद्धं कैलिग्राफी: रूप-ब्रह्म की अभिव्यक्तियाँ” का आज उत्साहपूर्ण समापन हुआ। इस विशेष प्रदर्शनी ने प्राचीन लिपियों, विशेष रूप से सिद्धं लिपि के सौंदर्य और बौद्धिक गहराई को दर्शाया, जिससे छात्रों, शिक्षकों और बाहरी दर्शकों में नई जागरूकता और उत्सुकता देखने को मिली।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. राणा प्रताप सिंह, कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय तथा विशेष अतिथि डॉ. अशिष भावे, निदेशक, इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज (ICCS) उपस्थित रहे, जो इस आयोजन के सहयोगी संस्थानों में से एक हैं। विश्वविद्यालय के विभिन्न स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, छात्रगण एवं कई गणमान्य दर्शक इस अवसर पर उपस्थित थे।

अपने संबोधन में प्रो. राणा प्रताप सिंह ने प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति नवजागरण होता है। उन्होंने आयोजन से जुड़े क्यूरेटर और सहयोगी संस्थाओं के प्रयासों की प्रशंसा की। डॉ. अशिष भावे ने सिद्धं कैलिग्राफी की बौद्ध परंपरा में भूमिका और इसकी आधुनिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

डॉ अरविंद कुमार सिंह ने इस अवसर पे कहा कि सिद्धम कैलीग्राफी पर प्रदर्शनी भारत वर्ष के किसी भी विश्वविद्यालय में पहलीवार हुआ है। यह अपने आप में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है।

प्रदर्शनी का क्यूरेशन दक्षिण कोरिया से पधारे भिक्षु दोवूंग एवं उनके सहायक शेडुप द्वारा किया गया, जिसमें सिद्धं लिपि से रचित मंत्र, पवित्र प्रतीक और “रूप-ब्रह्म” की सौंदर्यपूर्ण अभिव्यक्तियाँ प्रदर्शित की गईं। क्यूरेटर की उपस्थिति ने छात्रों को प्रदर्शनी के दौरान लिपि को प्रत्यक्ष सीखने और अनुभव करने का अवसर दिया।

प्रदर्शनी ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के बीच प्राचीन लिपियों के प्रति नई रुचि और उत्साह जगाया है। कई छात्रों ने क्यूरेटर से मार्गदर्शन प्राप्त पर सिद्धं लिपि का अभ्यास भी किया।

समारोह के दौरान डॉ. अशिष भावे और प्रो. राणा प्रताप सिंह के बीच प्राचीन लिपियों पर एक कार्यशाला आयोजित करने को लेकर गंभीर चर्चा हुई, जिसे विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन, दर्शन एवं तुलनात्मक धर्म संकाय ने सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी है। जल्द ही आवश्यक प्रक्रियाओं एवं व्यवस्थाओं पर निर्णय लिया जाएगा।

प्रदर्शनी में बीते तीन दिनों में बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, कला प्रेमियों, छात्रों और आम दर्शकों ने भाग लिया और इसे “गहन ज्ञानवर्धक” तथा “भूली-बिसरी लिपि की एक झलक” बताया।

प्रो श्वेता आनंद ने कहा कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय इस सफल आयोजन के लिए सभी सहयोगियों, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय शोध अध्ययन केंद्र, तत्त्वम फाउंडेशन और दक्षिण कोरिया से आए क्यूरेटर दल का हृदय से आभार व्यक्त किया। डॉ चिंताला वेंकट सिवसाई ने कहा कि यह आयोजन विश्वविद्यालय की प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

तीन दिन के प्रदर्शनी के सफल आयोजन में विभाग के डॉ चिंतला वेंकट सिवसाई, डॉ चंद्रशेखर पासवान, डॉ प्रियदर्शिनी मित्रा, डॉ ज्ञानादित्य शाक्य, डॉ मनीष टी. मेशराम, एवं श्री विक्रम सिंह यादव एवं विभागीय कर्मचारी कन्हया, संदीप, अजय, सचिन आदि का सहयोग रहा।

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