आस्था

बृजधाम की पावन बस्ती ग्राम खाम्बी में सतचण्डी महायज्ञ के साथ हुआ नवरात्री के पावन पर्व का समापन

खाम्बी :बृज चौरासी कोस की यात्रा में पड़ने वाले गाँव “ खाम्बी ” में कुल देवी खैरादेवत दादी के मंदिर में सतचण्डी महायज्ञ के साथ हुआ नवरात्री के पावन पर्व का समापन। इस महायज्ञ में सभी ग्रामवासियों और दूर दराज से आकर भक्तों ने आहुतियाँ डालकर विश्व कल्याण के लिये माँ जगदम्बा से प्रार्थना की।

किवदंती है कि महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने बड़े भाई बलराम जी को महाभारत युद्ध के समय ब्रज की यात्रा पर भेज दिया था उस दौरान भगवान बलराम जी ने 18 दिन में पूरे बृज को माप दिया था और सीमाएं बनाकर चार खम्ब स्थापित किए थे जिनमें से दो खम्ब पृथ्वी में समा गए। एक खम्ब दाऊ जी मे आज भी स्थापित है और दूसरा खम्ब खाम्बी में है जो शनै शनै पृथ्वी में समाता जा रहा है। कहा जाता है कि ब्रज की पहली परिक्रमा बलराम जी ने ही कि थी। बुजुर्गों के अनुसार यह यह बहुत ऊँचा स्तम्भ था परंतु वर्तमान स्थिति चित्र में है।

औरंगजेब के शासनकाल में जब मंदिरों को ध्वस्त करने का सिलसिला चलाया था तब इस मंदिर में भी स्थापित प्राचीन प्रतिमाओं को खंडित किया गया जो आज भी इस प्रांगण में सनातन समाज को नष्ट करने की बर्बरता की कहानी कहती नज़र आती हैं। इस खम्ब को मिटाने की भरसक कोशिश की। लेकिन जमीन में अनन्त गहराई में धंसे होने और ईश्वरीय प्रताप से इस खम्ब का बाल बांका भी न कर सका।

वर्तमान की नई पीढ़ी में मंदिर की सेवा में लगे मोनू पुजारी ने बताया कि इस खम्ब की सात परिक्रमा करने से एक गिरिराज परिक्रमा करने जितना ही फल मिलता है और मनोकामना पूर्ण होती है। हलधर बलराम जी द्वारा यहाँ खम्ब गाढ़ने के कारण ही इस गाँव का नाम खाम्बी पड़ा। मूलतः हरियाणा राज्य के पलवल जिले में स्थित यह आदि गौड़ ब्राह्मण बाहुल्य गाँव है। नित्य मंदिर में महिलाओ द्वारा कीर्तन,बधाई नृत्य, एवं प्रातःकाल की बेला में महिला पुरुषों की जागरण प्रभातफेरी निकालना उसके बाद मंदिर पहुँचकर पूजन आरती ओर उसके उपरांत गाँव की प्रत्येक छोटी महिला का अपने से बड़ी महिलाओं के पैर पढ़ने का रिवाज है जो एक उत्तम समाज की संकल्पना को साकार करता प्रतीत होता है।

रिपोर्ट भगवत प्रसाद शर्मा

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!