साहित्य जगत

सूरज के पास रोशनी है,पर खुद की ठंडक नही,

भूमिका बुलंदशहर से

औरंगाबाद (बुलंदशहर) नन्ही कलम से

सूरज के पास रोशनी है,पर खुद की ठंडक नही,

चांद के पास खूबसूरती है,पर खुद की रोशनी नही,

पानी के पास जीवनदान है,पर खुद का आकार नहीं,

हवा के पास आजादी है,पर खुद का अपीयरेंस नही,

पेड़ के पास ऊंचाई है ,पर बोलने की ताकत नही,

पोधो के पास हरियाली है ,पर उड़ने की आजादी नही,

किसी के पास कुछ है, कुछ नही

की किसी के पास कुछ है,कुछ नही

इसलिए कहती हूं सब्र करो,

क्युकी सबके पास सब कुछ नही।।।।

भूमिका बुलंदशहर

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