ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में इटैड़ा कांड:एफआईआर दर्ज कराने को हुई कशमकश

राजेश बैरागी (वरिष्ठ पत्रकार)
ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) के गांव इटैड़ा में आज बुधवार को एक विवादित भूमि पर किए जा रहे निर्माण को ढहाने पहुंची प्राधिकरण की टीम और ग्रामीणों के बीच जोरदार टकराव हुआ। दोनों ओर के आरोप प्रत्यारोपों का लब्बोलुआब यह है कि ग्रामीणों ने पथराव किया तो प्राधिकरण टीम ने ग्रामीणों पर हमला किया। दोनों पक्षों को चोटें आईं।इस घटना का एक तीसरा पहलू भी है। वहां पुलिस के डेढ़ दर्जन से अधिक जवान मौजूद थे। इसके बावजूद थाना बिसरख पुलिस ने यह पोस्ट लिखे जाने तक न तो प्राधिकरण की और न ग्रामीणों की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की थी।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित और अधिग्रहित गांव इटैड़ा में एक विवादित भूमि पर किए जा रहे निर्माण कार्य को ढहाने के दौरान आज सुबह प्राधिकरण के दस्ते और ग्रामीणों के बीच टकराव हो गया। प्राधिकरण के आधिकारिक बयान में विवादित भूमि का खसरा नंबर 435 बताया गया है जबकि एक अधिकारी ने इसे 451 बताया। अखिल भारतीय किसान सभा ने अपनी विज्ञप्ति में बेहद चतुराई से भूमि के खसरा नंबर का उल्लेख न कर इसे पुश्तैनी आबादी बताया है।प्राधिकरण का आरोप है कि ग्रामीणों ने उसकी टीम पर पथराव किया जबकि उक्त भूमि पर दुकानें बना रहे ग्रामीण एम पी यादव द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर में बिना कोई टकराव हुए प्राधिकरण कर्मियों द्वारा उसपर हमला करने का आरोप लगाया गया है। दोनों पक्षों ने थाना बिसरख पुलिस को घटना के संबंध में तहरीर देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। ग्रामीणों के समर्थन में अखिल भारतीय किसान सभा ने जिलाध्यक्ष रूपेश वर्मा के नेतृत्व में थाने का घेराव किया जबकि देर रात तक प्राधिकरण द्वारा अपनी ओर से एफआईआर दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा था।
इस घटना में एक बार फिर यहां कार्यरत प्राधिकरणों और कमिश्नरेट पुलिस के बीच समन्वय न होने की बात सामने आई है। प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार इस निर्माण को ढहाने के लिए प्राधिकरण द्वारा पिछले कई महीनों से पुलिस बल मांगा जा रहा था। आज साथ गया पुलिस बल प्राधिकरण टीम के पीछे पीछे चल रहा था। इस कारण भी ग्रामीणों को प्राधिकरण टीम पर पथराव करने का हौसला हुआ। फिर एफआईआर दर्ज कराने में न केवल ग्रामीणों को बल्कि प्राधिकरण को भी देर रात तक सफलता नहीं मिली। नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्रों में जिस प्रकार जमीनों पर कब्जे को लेकर ग्रामीण और प्राधिकरण आमने-सामने हैं, उससे आने वाले समय में कहीं भी और कभी भी टकराव की नौबत आ सकती है। ऐसे में सरकार के ही एक अंग पुलिस की भूमिका देखना दिलचस्प हो सकता है,

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