ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भारतीय ज्ञान परंपरा : चुनौतियाँ और भावी संभावनाएँ” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय द्वारा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आई.सी.पी.आर.), नई दिल्ली के सहयोग से “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भारतीय ज्ञान परंपरा : चुनौतियाँ और भावी संभावनाएँ” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन 6 से 8 नवम्बर 2025 तक आयोजित डॉ. सी. वी. शिवासाई के निर्देशन में किया जा रहा है।

सम्मेलन का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) और भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आई.के.एस.) के बीच वैश्विक एवं अंतःविषयी संवाद को प्रोत्साहित करना है। इस आयोजन के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि प्राचीन भारतीय दर्शन, तर्कशास्त्र, नैतिकता और भाषाविज्ञान की परंपराएँ आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुसंधान एवं विकास को किस प्रकार नई दिशा प्रदान कर सकती हैं।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोo राणा प्रताप सिंह ने कहा कि “यह सम्मेलन भारत की दार्शनिक परंपराओं और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु का कार्य करेगा। आज विश्व को ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है जो केवल तकनीकी नहीं, बल्कि नैतिक और मानवीय मूल्यों से भी प्रेरित हो। भारतीय दर्शन की करुणा, संतुलन और चेतना की अवधारणाएँ ए.आई. को अधिक संवेदनशील और उत्तरदायी बना सकती हैं।”

सम्मेलन में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संस्थानों से दर्शन, संस्कृत, पाली, कंप्यूटर विज्ञान और संज्ञानात्मक अध्ययन के विद्वान भाग ले रहे हैं। प्रमुख उप-विषयों में भारतीय मन और चेतना की अवधारणाएँ, नव्य-न्याय और तर्कशास्त्र का कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रयोग, संस्कृत संगणनात्मक भाषाविज्ञान तथा बौद्ध दृष्टिकोण से ए.आई. जैसे विषय शामिल हैं।

विशेष रूप से भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद मिश्र का मार्गदर्शन इस सम्मेलन की प्रमुख प्रेरणा रहा। यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ते हुए मानवता की सेवा में विज्ञान को दिशा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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