तुलसी बाबा की प्रतिमा का सम्बन्ध राजा भैया से अनंत काल तक स्थापित – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

धर्म चर्चा:बाबा तुलसीदास के बिना प्रभु श्री राम की भक्ति पूर्ण नहीं हो सकती इस बात को समझने वाले कुंडा विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उठाया था और बाबा तुलसी की प्रतिमा श्री अयोध्या धाम में स्थापित हो ऐसा आग्रह प्रदेश के मुख्या योगी आदित्यनाथ जी महाराज से किया था । जिसका सम्मान श्री रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट ने भी किया और राम लला सरकार श्री अयोध्या धाम में तुलसी बाबा की भव्य प्रतिमा की स्थापना करवाई, जिससे चिरकाल तक यह बात स्मरण रखी जायेगी की राजा भैया के भक्ति भाव और प्रभु श्री राम की इच्छा से तुलसी बाबा के दर्शन श्री अयोध्या धाम में श्रद्धालुओं को प्राप्त होते रहेंगे ।
राजा भैया की माता जी सनातनी परम्पराओं की प्रतिमूर्ति
राजा भैया की माता जी जिन्हे भदरी रियासत के लोग हुजूर साहेब भी कहते हैं अत्यंत आध्यात्मिक और सनातनी परम्पराओं के प्रति समर्पित महिला हैं यदि ऐसा कहा जाए की सनातन धर्म और परम्पराओं की प्रतिमूर्ति हैं तो यह कहना सार्थक होगा। मां जी के संस्कारो का ही प्रताप है की राजा भैया धर्म के प्रति सदैव जागरूक रहते हैं महाकुम्भ की सेवा हो या प्रभु श्री राम मंदिर निर्माण की सेवा राजा भैया सदैव अग्रिम पंक्ति में रहकर सेवा करते दिखाई पड़ते हैं । शायद प्रभु श्री राम की ही कृपा रही होगी जो राजा भैया के मन में ऐसी प्रेरणा उत्पन्न हुई की तुलसी बाबा की प्रतिमा श्री अयोध्या धाम में होनी चाहिए क्योंकि राजा भैया स्वयं और उनके परिवार के अधिकतम सदस्य प्रतिदिन श्री रामचरितमानस का पाठ नित नियम पूर्वक करते हैं इतना ही नहीं राजा भैया की कोठी में भी हनुमान जी महाराज को प्रतिदिन मानस का पाठ श्रवण कराया जाता है।
अतः अनेको बार देखा गया है की जब किसी भी व्यक्ति में आध्यात्मिक चेतना जाग्रत हो तो ईश्वर भी अच्छे कार्य उन्ही के माध्यम से करवाते हैं । तुलसी बाबा का जन्म लगभग 1532 ईस्वी के आसपास हुआ था तुलसी बाबा ने श्रीरामचरितमानस को 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में पूरा किया यह महाकाव्य संवत 1633 (1576 ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में पूर्ण किया गया। श्रीरामचरितमानस भारतीय धार्मिक, सांस्कृतिक, और साहित्यिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो न केवल भगवान राम के आदर्श जीवन का वर्णन करता है, बल्कि समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव भी डालता है। इसके सात कांडों में भगवान राम की जीवन यात्रा और भक्ति की शिक्षाएं विस्तृत रूप से प्रस्तुत की गई हैं। इस महाकाव्य ने भक्ति, धर्म, और नैतिकता के सिद्धांतों को जनसामान्य तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी यह भारतीय समाज और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसलिए राम लला सरकार के मंदिर में तुलसी बाबा के दर्शन सभी राम भक्तो के लिए अत्यंत संतोष प्रदान करने वाले हैं । जिसकी कड़ी राजा भैया से अनंत काल तक जुड़ गयी है ।