जनसत्ता दल लोकतांत्रिक राष्ट्र एवं धर्म प्रहरियों के लिए क्या बनेगा उत्तम विकल्प – दिव्य अग्रवाल(लेखक एवं विचारक)

वर्तमान में जातिगत विघटन कर सत्ता पाने की लालसा बहुत सारे राजनितिक दलों को है जिसके लिए यदि शास्त्रों को,शास्त्रियों को,धर्म प्रचारको को अपशब्द बोलना पड़े तो अधिकतर राजनेताओं को उससे भी कोई गुरेज नहीं है पर उनके दलों में अनेक ऐसे लोग,जनसेवक,जनप्रतिनिधि हैं जिनके अन्तःकरण में इस प्रकार के षड्यंत्र और प्रकरण देखकर आत्मग्लानि होती है घुटन होती है लेकिन वह लोग राष्ट्रप्रेम और धार्मिक अखंडता को समर्पित है । जब उनके दल के सर्वोच्च नेता इन सब बातो को दरकिनार कर देते हैं तो वो क्या करें ,अपने राजनितिक दल को छोड़ना चाहते हैं पर प्रश्न ये की जाएँ कहाँ, जहां उनके राष्ट्रवादी और धार्मिक विचारों का सम्मान हो सके तो लगता है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने अपने विचार लखनऊ से सार्वजानिक कर अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की विचारधारा जन जन तक पहुंचाने का प्रयास कर दिया है। राजा भैया का यह कहना कि दल के प्रत्येक सदस्य को राष्ट्र और धर्म की सुरक्षा एवं अखंडता के प्रति मुखर होकर समर्पित रहना है यह कथन इंगित करता है की जनसत्ता दल की राजनीति जातिगत विघटन पर नहीं अपितु राष्ट्रीय और सनातन धर्म की एकता एवं अखंडता को पोषित करेगी अतः यह भी कहा जा सकता है कि जिन लोगों के मन में इस प्रकार के विचार हैं उनका स्वागत जनसत्ता दल खुले मन से करना चाहती है ।
राजा भैया के उद्बोधन सदैव धैर्यता और शालीनता को धारण किये रहते हैं कम शब्दों में राष्ट्र और समाज को वृहद सन्देश देना यह राजा भैया की अद्भुत कला है ।