जिम्मेदार कौन: आज किसान अपनी दुर्दशा पर खून के आंसू रो रहा-भाजपा नेता अजीत चौहान
किसानों के नाम पर बन रहे संगठन भी कम नहीं है इसके लिए जिम्मेदार

विचार :किसानों का दर्द खून भारी आंस यमुना प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले किसानों की दुर्दशा पर किसी को भी कोई असर नहीं पड़ रहा है शासन और प्रशासन दोनों गहरी नींद सो रहे हैं ना किसानों के 64% से उन्हें कोई मतलब है ना किसानों के 7% परसेंट से उन्हें कोई मतलब है ना किसानों के बीस साला से कोई मतलब है और ना ही किसानों की कॉर्पोरेट बीमा हेल्थ स्कीम जो अनिवार्य रूप से होनी चाहिए किसानों के लिए वह किसानों को अवश्य ही मिलनी चाहिए किसानों को जो उनके मूलभूत अधिकार है लाभ है उनको अवश्य मिलना चाहिए जो किसान आए दिन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी आवाज सुना अनसुना कर दिया जाता है आखिर किसानअपनी बात कहे किससे किसान सरकार से क्या चाहती है सरकार अपना मंतव्य अपना गंतव्य अपना आधिकारिक पुष्टि करें आखिर किसानों के लिए सुविधा क्यों नहीं मिल रही है आखिर किसान अपनी सहनशक्ति कब तक शासन प्रशासन को प्रदर्शित न करें यह शासन और प्रशासन का सोचने का विषय है कि किसानों के मूलभूत अधिकारों से उनको वंचित किया जा रहा है जबकि सरकार को चाहिए यहां के जनप्रतिनिधि और अधिकारी एक दूसरे की चापलूसी में हमेशा लगे रहते हैं जो किसानों की मूलभूत अधिकारों की सुविधाओं से वंचित हो रहा हैं उनको वंचित किया जा रहा जब कि होना चाहिए कि किसानों को सारे जो अधिकार किसानों के हित में मिलनी चाहिए वह उनको मिलनी चाहिए जनप्रतिनिधि द्वारा हमेशा एक बात कही जाती है इन बातो कि हमने किसानों के दर्द को लोकसभा विधानसभा में रखा है अगर लोकसभा और विधानसभा में किसानों के अधिकारों को रखा है तो आखिर उनका प्रीति कर मिल क्यों नहीं रहा और अगर मिल नहीं रहा तो इसमें कहां और कैसे लापरवाही हो रही है इसमें शासन और प्रशासन आखिर क्यों चुप्पी साधे बैठा है आखिर उनका प्रतिकर क्यों नहीं दिया जा रहा जबकि तीनों प्राधिकरण के पास पैसे की कोई कमी नहीं है तीनों इतनी गहरी नींद सो रहे हैं कि किसानों की दुर्दशा पर किसी का भी ध्यान नहीं है रोज आए दिन किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं फिर भी किसानों के हित की लड़ाई को देखते हुए भी शासन प्रशासन गहरी नींद में है आखिर क्यों किसानों को मूल्य तुरंत तत्काल प्रभाव से मिलना चाहिए दो सुविधाएं तो अवश्य ही मिलनी चाहिए एक तो कॉर्पोरेट किसान पॉलिसी स्वास्थ्य बीमा एक उनका 64% 7% प्लॉट घोषित हो चुका है वह तत्काल प्रभाव से तुरंत दिया जाए आखरी आंदोलन कब तक आप करवाते रहेंगे आखिर किसान को इतना मजबूर क्यों किया जा रहा है बहुत से किसान तो भगवान को प्रिय हो गए हैं इसी आस में की आज कल मैं मिल ही जाएगाआखिर कौन से ऐसी शासन और प्रशासन किसानों के बीच की कड़ी है जो अधिकारों से उनको वंचित किया जा रहा है नेता जनप्रतिनिधि से शासन प्रशासन से आग्रह है कि किसानों ने की समस्याओं को तत्काल प्रभाव से माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत कराते हुए उनकी समस्याओं का हल निकाला जाए कहां यमुना प्राधिकरण विश्व पटल पर एशिया में नंबर वन दिखाई दे रहा है और वही किसान परेशान है किसे अपना दुखड़ा रोए जब खेत ही बढ़ को खा रही है कहां किसान अपनी दुर्दशा पर खून के आंसू रो रहा किसानों को प्रीति कर भी टुकड़े-टुकड़े कर कर दिया जा रहा है