दिल्ली एनसीआर

अब दिल्लीवासी देखना चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल विपक्ष की भूमिका सही तरीके से निभाने का काम करेंगे या नहीं- इकलाख अब्बासी 

ग्रेटर नोएडा: अरविंद केजरीवाल सत्ता में आने से पहले अन्ना हजारे आमरण अनशन आंदोलन के समय से बहुत ही शानदार विचारों से देशवासियों और दिल्ली वासियों को अवगत कराने का काम करते थे, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सर्व समाज को साथ लेकर आगे बढ़े, मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान शिक्षा, स्वास्थ सेवाओं, परिवहन व्यवस्था, विद्युत विभाग आदि में अनेकों जनकल्याणकारी योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के लागू करने का काम किया।

अब आम आदमी पार्टी के चुनाव हारने के बाद आशा करते हैं कि पढ़े लिखे, बुद्धिजीवी उच्च शिक्षित अरविंद केजरीवाल दिल्ली में विपक्ष की भूमिका भी अच्छे से निभाने का काम करेंगे, लोकतांत्रिक व्यवस्था में पांच साल यूं ही आ जाते हैं और यूं ही चले जाते हैं, जीतने वाले घमंड न करें और हारने वाले मायूस न हों।

जमीनी स्तर सक्रियता और जनसेवा कभी बेकार नहीं जाती है, टीम में मजबूत लोगों को शामिल करने के अवसर गंवाने नहीं चाहिए, अपने साथी सहयोगियों की लोकप्रियता से न घबराए, साल के 365 दिन रात सियासी उतार चढ़ाव पर नजर रखने के साथ साथ जमीन से जुड़े रहना चाहिए, अपने नजदीक के योग्य और समर्पित व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति की कद्र करते रहना चाहिए, तानाकशी या छींटाकशी जैसी ओछी हरकत से बचना चाहिए।

अपने आप को पीएम मैटेरियल समझने की भी बड़ी भूल की, लोकसभा चुनावों एवं हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों में हुए चुनाव के दौरान नाजुक मौकों पर कांग्रेस, यूपीए, इंडिया गठबंधन को धोखा देने से भी आम जनता में केजरीवाल की छवि धूमिल हुई, किसी भी दोगले नेता को आम जनता लंबे समय तक पसंद नहीं करती है।

माननीय सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट प्रशांत भूषण, बुद्धिजीवी योगेन्द्र यादव आदि जैसे कुछ बेशकीमती लोगों को धोखा देने से भी अरविन्द केजरीवाल निसंदेह कमजोर हुए। राज्यसभा सांसद बनाने में सिर्फ और सिर्फ संजय सिंह जाने पहचाने व राजनीतिज्ञ थे बाकी तो सिर्फ पैसे वाले हो सकते है लेकिन राजनीतिक रूप से तो कोरे कागज थे।

अरविंद केजरीवाल पूर्व में प्रशासनिक अधिकारी रहे है तो इसके चलते वह अपनी मनमानी करते करते तानाशाही रवैया भी अपनाने लगे, एक परिवार एक टिकट आदि कई फैसले सही नहीं थे जबकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी के विचारों और सहयोगियों, कार्यकर्ताओं आदि के हितों का भी ध्यान रखना पड़ता है।

केजरीवाल सरकार की विदाई में दिल्ली एलजी ने भी अच्छी खासी बड़ी भूमिका निभाई, दिल्ली एलजी ने आम आदमी पार्टी की सरकार को काम नहीं करने दिया, नाजुक मौकों पर अड़चनें डालने का काम किया। महत्वपूर्ण फाइलों को रोका गया।

रही सही कसर केजरीवाल ने लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से उत्तर प्रदेश, बिहार आदि के लिए पैदल वापस लौट रहे लाखों परिवारों के पलायन पर अपनी नाकामयाबी को छिपाने के लिए हजरत निजामुद्दीन मरकज, मौलाना शाद साहब के खिलाफ झूठे आरोप लगाने, झूठा मामला दर्ज कराया, दिल्ली दंगों के दौरान चार पांच दिनों तक रहस्यमय चुप्पी साध कर अपने माथे पर भीषण दंगों का कलंक लगवाने ओर अपने ऊपर कमजोर नेता होने की मोहर लगवाई, आम आदमी पार्टी जिंदाबाद का नारा लगाने वाले, अमन चैन शांति पसंद लाखों समर्थकों को निराश किया, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री चाहते तो घर से निकल कर दंगे फसाद रोक सकते थे।

केजरीवाल ने अपने किए की सजा भुगतने का काम भी किया, मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान जेल गए, कई मंत्री जेल गए, कई जीते हुए विधायकों ने धोखा भी दिया। एक करीबी महिला नेता ने तो आए दिनों तरह तरह के आरोप, मारपीट कराने का मामला दर्ज कराने का काम किया जबकि उपरोक्त महिला नेता को बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का काम किया था।

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