राजनाथ सिंह से व्यक्तिगत संबंध,राजा भैया को कारावास का कोई अफ़सोस नहीं – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

लखनऊ:राजनाथ सिंह भाजपा के लिए संकटमोचक है इसमें कोई संदेह नहीं जिसकी पुष्टि कुंडा विधायक और जनसत्तादल लोकतांत्रिक के मुख्या रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने भारत समाचार के साक्षात्कार में स्पष्ट रूप से की है। भाजपा पर जब भी संकट आया राजनाथ सिंह ने राजनितिक सम्बन्ध ही नहीं अपितु निजी संबंधों का भी सहयोग लेकर भाजपा को राजनितिक संकट से बाहर निकाला।
भारत समाचार के सम्पादक बृजेश मिश्रा ने राजा भैया से एक प्रश्न पुछा की आप तो सदैव निर्दलीय रहे, न भाजपा के सदस्य रहे न सपा के तो राजनाथ सिंह ने आपको भाजपा सरकार बनवाने का दायित्व क्यों दिया और उस दायित्व को पूर्ण करने के कारण जो बसपा की अदावत झेलकर आपको लम्बे समय तक कारावास काटना पड़ा तो क्या उस पर कोई पछतावा होता है। इस पर राजा भैया का उत्तर बहुत ही सहज लेकिन वजनदार, राजा भैया ने कहा राजनाथ सिंह ने व्यक्तिगत संबंधो के चलते हमें यह दायित्व दिया था और व्यक्तिगत संबंधो की पूर्ति हेतु हम किसी भी हद तक जा सकते हैं इसलिए अदावती कारावास काटने का न कोई तब पछतावा था न कोई अब है।
राजा भैया जिन्होंने राजनाथ सिंह के कहने पर निजी संबंधो के आधार पर भाजपा के अल्पमत में होते हुए भी भाजपा की सरकार बनाने में न सिर्फ सहयोग किया बल्कि बसपा की नाराजगी के कारण लगभग ढाई वर्ष तक अपने पिता जी,भाई और २५० से अधिक निजी सम्बन्धों के साथ कारावास भी काटना पड़ा वास्तव में राजनीति में रहते हुए निजी संबंधो का असाधारण उदहारण है ।
जब भी उत्तर प्रदेश में टिकटों को लेकर कोई नाराजगी हो, किसी संवैधानिक पद जैसे राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति या राज्य सभा सांसद जैसे चुनाव हों तब भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व राजनाथ सिंह का सहयोग लेकर ही सबको साधने में सफल होता है । जिसमें राजा भैया जो भाजपा के न होते हुए भी राजनाथ सिंह एवं अन्य व्यक्तियों से निजी सम्बन्ध के आधार पर भाजपा का हर विपरीत परिस्थिति में साथ देते आ रहे हैं,अभिनंदनीय है। राजनाथ सिंह जो भाजपा में संकटमोचन कहे जाते हैं उन्हें उन निजी संबंधों को भी उचित सम्मान देना चाहिए जिन्होंने अपनी चिंता न करते हुए राजनाथ सिंह की बात को सर्वप्रथम महत्व दिया ।
आज के समय में जो यह कह सके की निजी संबंधों के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं ऐसे संबंध कहाँ मिलते हैं राजा भैया भाजपा और भाजपा मित्रो के लिए उस समय भी एक महत्वपूर्ण सूत्रधार थे जिस समय भाजपा की सत्ता की चाबी विपक्षी दलों ने छीन ली थी।
“रघुकुल रीत सदा चली आयी प्राण जाय पर वचन न जाय “