जन सूचना अधिकार के अंतर्गत सूचना ना दिये जाने पर अपर जिलाधिकारी ने ई ओ को फटकारा
मांगी गई सूचनाओं सहित तीन अगस्त को अपने कार्यालय में किया पुनः तलब
औरंगाबाद (बुलंदशहर ) भारत सरकार ने वर्ष 2005 में देश के किसी भी नागरिक को किसी भी सरकारी अर्धसरकारी विभाग सार्वजनिक उपक्रम आदि के कार्यकलापों से रुबरु कराने और पारदर्शिता लाने के लिए जन सूचना अधिकार मुहिया कराया था। जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी विभाग से कोई भी सूचना मांगने का अधिकार रखता है। लेकिन प्रायः देखने में आता है कि अधिकांश अधिकारी या तो आवेदक को सूचना उपलब्ध ही नहीं कराते अथवा आधी अधूरी सूचना देकर टरका देते हैं।
कस्बा निवासी एडवोकेट निखिल सिंघल ने 27अप्रेल 24को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत लिखित प्रार्थना पत्र देकर नगर पंचायत औरंगाबाद के अधिशासी अधिकारी/ जन सूचना अधिकारी से नगर पंचायत में औरंगाबाद में डीजल पेट्रोल खर्चा बाउचर, विभिन्न खातों के स्टेटमेंट, तथा कार्यरत कर्मचारियों की सूची नाम और पदनाम सहित उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। निर्धारित समय सीमा में कोई सूचना नहीं दिये जाने पर एस डी एम सदर को पत्र देकर सूचना दिलवाये जाने का अनुरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
एडवोकेट निखिल सिंघल ने 17 जून 24को एक अन्य आर टी आई लगाकर नगर पंचायत औरंगाबाद में संपन्न हुई बोर्ड बैठकों की कार्यवृत्ति पारित प्रस्तावों की सूची, प्रस्ताव रजिस्टर की प्रतिलिपि, तथा नगर पंचायत में पंजीकृत ठेकेदारों की सूची उपलब्ध कराने की मांग की। इस पर भी अधिशासी अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। जिसपर आवेदक ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अदालत का दरवाजा खटखटाया। ए डी एम प्रशासन ने 24 जुलाई को अधिशासी अधिकारी को 29 जुलाई को अपने कार्यालय में तलब करते हुए आवेदन कर्ता निखिल सिंघल एडवोकेट को मांगी गई सूचनाओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। लेकिन 29 जुलाई को भी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गईं।
अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर को सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर जमकर फटकारा और तीन अगस्त को तमाम वांछित सूचनाओं सहित अपने कार्यालय में तलब किया है।
देखना दिलचस्प होगा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवेदन कर्ता सूचना पाता है अथवा जिम्मेदारों का टालू रवैया बरकरार रहेगा।
रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल