यवनमर्दिनी माँ काली को जिहादी पठानों की बलि चढ़ाने वाले महान योद्धा थे ब्राह्मण बेनीमाधव रे- दिव्य अग्रवाल
बंगाल का दस्यु गिरोह जिसके मुख्या गोविन्दो सिंघा थे यह गिरोह इस्लामिक आक्रांताओं के लिए स्वयं आतंक का पर्याय था । गोबिन्दो सिंघा के पश्चात इस गिरोह की कमान एक बंगाली ब्राह्मण बेनीमाधव रे ने संभाली, बेनीमाधव रे संस्कृत के ज्ञाता और आध्यात्मिक रूप से ज्ञानवान व्यक्ति थे । १६ वीं शताब्दी में बेनीमाधव रे बंगाल के चलन बिल द्वीप पर रहते थे जिस कारण उस स्थान को पंडित डाकाटर भीटा भी कहा जाता था। पंडित जी का पूरा गिरोह माँ यवनमर्दिनी काली का पुजारी था, जब भी इस्लामिक पठान , सनातनी मंदिरो को ध्वस्त करते या हिन्दुओ को प्रताड़ित करते तो बेनीमाधव रे उन पठानों की बलि माँ काली को चढ़ा दिया करते थे । पंडित बेनीमाधव रे के दो मुख्य शिष्य थे जिनका नाम जुगल किशोर सान्याल और चंडी प्रसाद था । दोनों ही अपने गुरु बेनीमाधव रे की भांति इस्लामिक पठानों के लिए काल रूप थे इसीलिए पठान उन्हें काल जोगाला और काल चंदे बुलाते थे । बेनीमाधव रे ब्राह्मण कुल से थे परन्तु उन्होंने धर्म रक्षा हेतु योद्धा के जीवन का अनुशरण किया वास्तव में सनातन की मूल शिक्षा यही है की जो अधर्म करे उसका समूल नाश करना ही सर्वश्रेष्ठ धर्म हैं । पीड़ा इस बात की है की इतिहास ने ऐसे महान योद्धाओं को स्मरण नहीं रखा यदि रखा होता तो जिहादी समाज की हिम्मत न हो पाती की वह मानवता की निर्मम हत्या कर पाते । यदि मानवता को बचाना है तो माँ काली का साधक बन अपने पूर्वजो के दिखाए मार्ग पर चलना ही होगा ।