बुलन्दशहर

गंदे पानी और कीचड़ में होकर गुजरना स्कूली बच्चों और नमाजियों की मजबूरी 

मौहल्ला देहली दरवाजा में मौहल्ले वालों की जिंदगी बन गई है नरक

औरंगाबाद( बुलंदशहर )कस्बा औरंगाबाद में मौहल्ला देहली दरवाजा वासियों की जिंदगी नरक में तब्दील हो गई है। आलम यह है कि नमाजियों को लोहरान मस्जिद में नमाज पढ़ने और स्कूली बच्चों को स्कूल आने जाने में कीचड़ और गन्दे पानी से होकर गुजरता पड़ रहा है। नगर पंचायत के तमाम जिम्मेदार आश्चर्यजनक रूप से मौन साधे हुए हैं।

भले ही योगी सरकार में स्वच्छ भारत अभियान पर अरबों खरबों रुपए पानी की तरह फूंके जा रहे हों हकीकत इसके विपरीत है।

कस्बे औरंगाबाद में एक मौहल्ला ऐसा भी है जहां के रहने वाले कीचड़ और बदबूदार पानी से होकर गुजरने को विवश हैं। अगर स्वच्छ भारत अभियान की असलियत देखनी है तो औरंगाबाद कस्बे के वाल्मीकि चौक पर आइये। वाल्मीकि चौक पर कूड़े करकट के ढेर आपका स्वागत करने के लिए बेताब मिलेंगे। वाल्मीकि चौक से लोहरान मस्जिद के रास्ते पर हर दिन गन्दे बदबूदार पानी का सैलाब उमड़ उमड़ कर आपका स्वागत करेगा। भले ही स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में और नमाज अदा करने मस्जिद जाने वाले नमाजियों को इसी पानी में से होकर गुजरना पड़ता हो किसी की सेहत पर कोई असर देखने में नहीं आता।

पूर्व सपा नगर अध्यक्ष निजामुद्दीन सैफी के आवास से मौहल्ला गुलावठी की ओर जाने वाली तमाम नालियों में गंदगी और कूड़ा करकट गन्दा पानी भरा रहता है लेकिन किसी का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। मौहल्ले वालों का कहना है कि वाल्मीकि चौक से गूली तक जाने वाले रास्ते पर ईद से पहले नगर पंचायत के जिम्मेदारों के चहेते ठेकेदार ने नाली खड़ंजा लगाने का काम शुरू किया था। सैय्या भये कोतवाल अब डर काहे का की तर्ज़ पर जब जी में आया काम पूरा किया जाएगा चहेते ठेकेदार से कोई कुछ कह भी नहीं सकता है। भले ही ठेका अनुबंध में काम पूरा करने की अवधि तय हो परवाह ना काम करने वाले को है ना काम करवाने वालों को है। कमाई में हिस्सा लेने में कोई भी कोताही बरतने को तैयार नहीं है।काम जाये भाड़ में।

रिपोर्टर राजेन्द्र अग्रवाल

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