भक्त ध्रुव ने अद्भुत भक्ति से किया नारायण को प्रसन्न: हरेश आनंद शास्त्री
बुलंदशहर: गुलावठी हनुमान मंदिर के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आज परम पूज्य हरेशनंद शास्त्री जी द्वारा ब्रह्मा जी के जन्म का रहस्य चतुर लो की भागवत का रहस्य एवं विदुर चरित्र के प्रसंग को बहुत ही सुंदर ढंग से व्याख्या करके सुनाया जिसमें महाराज श्री ने बताया कि धंधा ने एवं वैभव से परिपूर्ण होने के बाद भी दुर्योधन के अतिथि एवं भोजन को ऐसी कार करके विदुर के घर केले के छिलके का भोजन स्वीकार किया यहां पर भगवान ने जीव को बताया कि ईश्वर को रिझाने का एकमात्र मार्ग सरलता एवं सद्भाव प्रेम भाव है अभिमान जहां भी होगा ईश्वर का वास कदापि वहां हो ही नहीं सकता और इसी में आगे महाराज श्री ने कपिल भगवान एवं देवभूमि संवाद और इसी में आगे ध्रुव चरित्र का वर्णन विस्तार पूर्वक सुनाया जिसमें बताया कि 5 वर्ष की आयु में ही भक्त ध्रुव के मन में माता सुरुचि के द्वारा तिरस्कार किए जाने पर प्रभु के नाम का वैराग्य उत्पन्न हो गया भक्त ध्रुव ने अपनी निश्चल एवं अद्भुत भक्ति के द्वारा ईश्वर को प्रसन्न करके संपूर्ण जगत के पिता की गोद को प्राप्त किया इस कथा से प्रेरणा मिलती है की भक्ति की उम्र नहीं होती ईश्वर को किसी भी उम्र में प्राप्त किया जा सकता है मन में शक्ति श्रद्धा और दृढ़ विश्वास होना चाहिए और आगे चलकर जड़ भरत की कथा को श्रवण कराया बीच-बीच में महाराष्ट्री के द्वारा सुंदर-सुंदर भजनों द्वारा समस्त भक्त जनों को आनंद विभोर कराया इस प्रकार के अनुष्ठानों से सहज ही जनसाधारण का कल्याण होना निश्चित है
हमें चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार के अनुष्ठानों का होना परम आवश्यक है जिससे आने वाली पीढ़ी को हमारे सनातन की महिमा का ज्ञान हो सके और सनातन संस्कृति का विस्तार हो सके एवं पित्र पक्ष में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बहुत ही अधिक है पितृपक्ष में भागवत श्रवण मात्र से हमारे पितरों को शांति प्राप्त होती है एवं हमारे परिवार पर पितरों की दशा का अनुकूल परिणाम होता है अतः पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है
उपस्थित रहे अनिल चौधरी,विकास तेवतिया, विनीत कुमार गिरी, राजकुमार चाहर, फतह चंद्र मिश्रा, संजीव शर्मा, दीपक शर्मा, बीना कौशिक एवं अनेक भक्तों ने श्रीमद् भागवत कथा का पूरा आनंद लिया
कथा के दौरान नगर गुलावठी के चेयरमैन शैलेश तेवतीया जी , सीओ पूर्णिमा सिंह जी ,कोतवाल गुलावठी सुनीता मलिक जी ने भी आचार्य जी से भेट की।।