रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी की नसीहत अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचें प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा:उत्तर प्रदेश भू संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) अध्यक्ष डा. संजय भूसरेड्डी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के अधिकारियों को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने की नसीहत दी है। इसके साथ ही उन्होंने प्राधिकरणों की संपत्तियों के खरीदारों को कब्जे का प्रस्ताव(पजेसन ऑफर) मिलने के दिन से जमा धनराशि पर ब्याज अथवा विलंब शुल्क न देने की भी घोषणा की।
ग्रेटर नोएडा स्थित रेरा के क्षेत्रीय कार्यालय पर नोएडा ग्रेटर नोएडा व यीडा के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में डा संजय भूसरेड्डी ने कहा कि प्राधिकरणों को रेरा के निर्णयों के विरुद्ध विशेष परिस्थितियों में ही उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए। उन्होंने पिछले कुछ मामलों का उदाहरण देते हुए बताया कि उच्च या उच्चतम न्यायालयों ने रेरा के निर्णयों को बरकरार रखा था। इससे प्राधिकरणों को मुकदमों के खर्च के अलावा खरीदारों के लिए देय धनराशि पर अतिरिक्त ब्याज का बोझ भी पड़ता है। इससे बचा जाना चाहिए। उन्होंने प्राधिकरणों को रेरा के निर्णयों की अनुपालन आख्या समय से उपलब्ध न कराने तथा मुकदमों में जवाब दाखिल न करने के लिए भी खरी खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि अधिकांश मुकदमों में प्राधिकरणों के अधिवक्ता जवाब दाखिल करने के लिए अगली तिथि की मांग करते हैं। इस कारण अधिकांश मामलों में औसतन सत्रह सत्रह तारीखें बगैर कार्यवाही आगे बढ़े निकल जाती हैं। प्राधिकरणों के अधिकारियों द्वारा रेरा अध्यक्ष को बताया गया कि विभिन्न परियोजनाओं में संपत्तियों के पजेशन ऑफर के बावजूद खरीदारों द्वारा विभिन्न बहाने बनाकर रजिस्ट्री न कराने तथा विलंब शुल्क व ब्याज की मांग करने वाले मुकदमे दायर किए जाते हैं। इसपर उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे किसी भी मामले में खरीदारों को राहत नहीं दी जाएगी। उन्होंने बिल्डर परियोजनाओं में खरीदारों द्वारा पैसा वापस लेने के मामलों में आवंटन पत्र व बिल्डर बायर एग्रीमेंट पर निरस्तीकरण की मुहर लगाकर सारे दस्तावेज रेरा कार्यालय में रखने का भी आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में तीनों प्राधिकरणों से संबंधित लगभग चार सौ मुकदमे रेरा में चल रहे हैं। इनमें से सबसे अधिक मुकदमे यीडा से संबंधित हैं। मुकदमों में पैरवी के प्रति उदासीनता तथा निर्णयों का समय से अनुपालन न होने से न केवल प्राधिकरणों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है बल्कि लंबित मामलों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस अव्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्राधिकरणों की कार्यशैली को लेकर नाखुश बताए जाते हैं।
रिपोर्ट- राजेश बैरागी स्वतंत्र पत्रकार