धर्म चर्चा: शारदीय नवरात्रि और घट स्थापना
शारदीय नवरात्रि और घट स्थापना:३ अक्टूबर को होगा घट स्थापना। शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा की नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना (कलश स्थापना) की जाती है, जो पूरे नौ दिनों के व्रत और पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। यह कार्य शुभ मुहूर्त में और विधिपूर्वक किया जाता है।
घट स्थापना कैसे करें:
घट स्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे सही समय और विधि के साथ करना जरूरी है। यहाँ घट स्थापना की पूरी विधि दी जा रही है:
सामग्री:
एक साफ मिट्टी या पीतल का कलश
पवित्र जल (गंगा जल) या शुद्ध जल
साबुत चावल (अक्षत)
कलावा (मौली)
नारियल (पानी वाला नारियल, लाल कपड़े में लपेटा हुआ)
आम या अशोक के पत्ते
एक मिट्टी का पात्र (जौ बोने के लिए)
जौ (अंकुरित करने के लिए)
कुमकुम, हल्दी, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, कपूर
सिंदूर और लाल कपड़ा (नारियल लपेटने के लिए)
देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
घट स्थापना की विधि:
स्थान की शुद्धि और तैयारी:
सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल या पवित्र जल छिड़ककर शुद्ध करें।
मिट्टी के पात्र में साफ मिट्टी डालें और उसमें जौ (अंकुरित करने के लिए) बो दें। जौ का अंकुरण समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
कलश की स्थापना:
कलश (घट) को शुद्ध जल से भरें, और उसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का, और कुछ साबुत चावल (अक्षत) डालें।
कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रखें।
नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें। इस नारियल को मौली (कलावा) से बांध दें।
कलश के चारों ओर मौली (रक्षासूत्र) बांधें और कलश को उस स्थान पर रखें जहां मिट्टी के पात्र में जौ बोए गए हैं।
देवी की स्थापना और पूजा:
देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
देवी दुर्गा के सामने धूप, दीप जलाएं और उनका ध्यान करें।
देवी को चंदन, कुमकुम, पुष्प, अक्षत और नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करते हुए देवी की आराधना करें।
जौ के अंकुरण की देखभाल:
नवरात्रि के दौरान कलश और जौ की विशेष देखभाल करें। जौ का अंकुरण देवी की कृपा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
हर दिन जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें:
शुभ मुहूर्त: घट स्थापना का कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। आमतौर पर यह प्रातःकाल किया जाता है। पंडित से सही मुहूर्त के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
पूजा स्थल की शुद्धता: पूजा स्थल को पूरी तरह से शुद्ध और पवित्र रखें। जहां घट स्थापना की जा रही हो, उस स्थान को हर समय साफ रखें।
पूरे नौ दिन का नियम: नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आहार लें। व्रत रखें और देवी की पूजा में पूरे मन से ध्यान दें।
जौ का विशेष महत्व: जौ का अंकुरण जितना अच्छा और हरा-भरा होता है, उतना ही अधिक शुभ माना जाता है। इसे प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा जल देते रहें।
अखंड दीप जलाना: यदि संभव हो, तो पूरे नौ दिन अखंड दीप जलाएं। यह दीपक माता की अनंत कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
नवरात्रि के दौरान अन्य महत्वपूर्ण पूजा और अनुष्ठान:
देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा प्रतिदिन करें। हर दिन मां दुर्गा के एक विशेष रूप की आराधना की जाती है।
सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन विशेष पूजा, हवन और कन्या पूजन का आयोजन करें।
नवरात्रि के अंतिम दिन, हवन, कन्या पूजन और देवी विसर्जन के साथ पूजा को विधिवत संपन्न करें।
घट स्थापना नवरात्रि का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है। इसे विधिपूर्वक और ध्यानपूर्वक करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।