हिन्दुओ की आवाज उठाने पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के साथ अनुचित व्यवहार – दिव्य अग्रवाल (लेखक की कलम से)
बांग्लादेश में हिन्दुओ के साथ मजहबी चरमपंथियों द्वारा जो बर्बरता की जा रही है वह सर्वविदित है जिसके निमित कुछ लोग अपना विरोध विभिन माध्यमों से दर्ज करा रहे हैं। यदि राजनितिक दलों की बात की जाय तो भाजपा के अतिरिक्त कोई अन्य दल हिन्दुओ के नरसंघार पर कुछ बोल नहीं रहा परन्तु राजा भैया जो कुंडा से विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुख्या हैं वो इस विषय पर पूरी मुखरता के साथ निरतंर बोल रहे हैं आज इसी श्रखला में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बैनर तले विधान परिषद् सदस्य कुंवर अक्षय प्रताप जी के नेतृत्व में एक ज्ञापन बांग्लादेश राष्ट्रपति और भारत के राष्ट्रपति को देना निर्धारित हुआ जिसमे मुख्यतः तीन मांगे थी , प्रथम हिन्दू समाज पर अत्याचार बंद हो, दूसरी चिन्मय कृष्ण दास जी की अविलम्ब रिहाई हो और अंतिम हिन्दू मंदिरो की तोड़फोड़ बंद हो । यह तीनो मांगे उचित और भारत के हिन्दुओ के मनोभाव के अनुरूप थी लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा जनसत्तादल लोकतांत्रिक को यह ज्ञापन देने हेतु बांग्लादेश दूतावास जाने नहीं दिया गया। यह माना जा सकता है की प्रोटोकॉल के तहत वहां जाने नहीं दिया जाए लेकिन MEA मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स के अधिकारियों के माध्यम से तो यह ज्ञापन लिया जा सकता था यदि इतना भी नहीं तो दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारी इस ज्ञापन को ले सकते थे परन्तु ऐसा हुआ नहीं अपितु संवैधानिक पद पर बैठे अक्षय प्रताप सिंह जी और पार्टी के सभी पदाधिकारियों को बस में भरकर दिल्ली बॉर्डर बवाना थाना के जाकर डिटेन किया गया । देखा जाए तो यह अनुचित व्यवहार ही तो है,न कोई प्रदर्शन था, न कोई आंदोलन केवल हिन्दू समाज की पीड़ा और वेदना को बांग्लादेश सरकार तक पहुँचाना था। जिस काल खंड में कोई विपक्षी दल हिन्दुओ की बात नहीं करना चाहता उस समय जनसत्ता दल लोकतांत्रिक यदि हिन्दुओ की पीड़ा को सामाजिक पटल पर रखना चाहती है तो भारत सरकार को भी सहयोग करना चाहिए।